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श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग गौरी(312) (श्रीकृष्णचन्द्र कहते हैं-) ‘मैया! यह दाऊ दादा बहुत बुरा है। कहने लगा कि ‘वन में बड़ा तमाशा (अद्भुत दृश्य) है, सभी बालक एकत्र होकर आ जाओ।’ मुझे भी पुचकारकर वहाँ ले गया, जहाँ झाउओं का घना वन है। (वहाँ जानेपर) यह कहकर भाग गया कि ‘अरे भाग चलो, यहाँ हाऊ काट खायेगा।’ मैं डरता था, काँपता था और रोता था; मुझे धैर्य दिलानेवाला भी कोई नहीं था। मैं डर गया था, भाग पाता नहीं था, वे सब आगे-आगे भागे जाते थे। मुझसे कहता है कि तू मोल लिया हुआ है और स्वयं भला कहलाता है।’ सूरदासजी कहते हैं-(मैया ने कहा-) ‘बलराम तो बड़ा झूठा है और वैसे ही सखा भी मिल गये हैं।’ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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