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श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग रामकली(281) (श्यामसुन्दर कहते हैं-) ‘मैया! मैं गाय चराने जाऊँगा। तू व्रजराज नन्दबाबा से कह दे-अब मैं बड़ा हो गया, डरूँगा नहीं। रैता, पैता, मना, मनसुखा आदि सखाओं तथा दाऊ दादा के साथ ही रहूँगा। वंशीवट के नीचे गोप-बालकों के साथ खेलने में मुझे अत्यन्त सुख मिलेगा। भोजन के लिये छींके में भात और दही दे दे, भूख लगने पर खा लूँगा।’ सूरदासजी कहते हैं कि ‘यमुनाजल मेरा साक्षी है; शपथ दे दो यदि मैं वहाँ स्नान करूँ तो।’ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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