विषय सूची 1 श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास 1.1 अनुवादक - सुदर्शन सिंह 1.2 राग आसावरी 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास अनुवादक - सुदर्शन सिंह राग आसावरी (8) ब्रज भयौ महर कैं पूत, जब यह बात सुनी। सुनि आनंदे सब लोग, गोकुल नगर-गुनी।। अति पूरन पूरे पुन्य, रोपी सुथिर थुनी। ग्रह-लगन-नषत-पल सोधि, कीन्हीं बेद-धुनी।। सुनि धाईं सब ब्रज नारि, सहज सिंगार किये। तन पहिरे नूतन चीर, काजर नैन दिये।। कसि कंचुकि, तिलक लितार, सोभित हार हिये। कर-कंकन, कंचन-थार, मंगल-साज लिये।। टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास क्रम संख्या पद पद संख्या 1. आदि सनातन, हरि 1 2. बाल-बिनोद भावती 2 3. हरि-मुख देखि हो 3 4. गोकुल प्रगट भए 4 5. उठीं सीख सब मंगल 5 6. हौं इक नई बात सुनि 6 7. हौं सखि, नई चाह इक 7 8. ब्रज भयौ महर कैं पूत 8 9. आजु नंद के द्वारैं भीर 9 10. बहुत नारि सुहाग-सुंदरि और घोष 10 11. आजु बधायौ नंदराइ कैं 11 12. धनि-धनि नंद-जसोमति 12 13. सोभा-सिंधु न अंत रही री 13 14. आजु हो निसान बाजै 14 15. (माई) आजु हो बधायौ बाजै 15 16. आजु बधाई नंद कैं माईं 16 17. आजु गृह नंद महर कैं बधाइ 17 18. (माई) आजु तौ बधाइ बाजैं 18 19. कनक-रतन-मनि पालनौ, गढ़ौ काम 19 20. जसोदा हरि पालनैं झुलावै 20 21. पलना स्याम झुलावति जननी 21 22. पालनैं गोपाल झुलावैं 22 23. हालरौ हलरावै माता। बलि-बलि 23 24. कन्हैया हालरु रे 24 25. नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री 25 26. कन्हैया हालरौ हलरोइ 26 27. कर पग गहि, अँगुठा मुख मेलत 27 28. चरन गहे अँगुठा मुख मेलत 28 29. जसुदा मदन गुपाल सोवावै 29 30. अजिर प्रभातहिं स्याम कौं, पलिका पौढ़ाए 30 31. हरषे नंद टेरत महरि 31 32. महरि मुदित उलटाइ कै मुख चूमन 32 33. जो सुख ब्रज मैं एक घरी 33 34. यह सुख सुनि हरषीं ब्रजनारी 34 35. जननी देखि, छबि बलि 35 36. जसुमति भाग-सुहागिनी 36 37. गोद लिए हरि कौं नँदरानी 37 38. नंद-घरनि आनँद भरी 38 39. नान्हरिया गोपाल लाल, 39 40. जसुमति मन अभिलाष करै 40 41. हरि किलकत जसुदा की 41 42. सुत-मुख देखि जसोदा फूली 42 43. हरि किलकत जसुमति की 43 44. जननी बलि जाइ हालरु 44 45. हरि कौ मुख माइ, मोहि 45 46. लालन, वारी या मुख ऊपर 46 47. आजु भोर तमचुर के रोल 47 48. खेलत नँद-आँगन गोबिंद 48 49. खीझत जात माखन 49 50. (माई) बिहरत गोपाल राइ 50 51. बाल बिनोद खरो 51 52. मैं बलि स्याम, मनोहन 52 53. किलकत कान्ह घुटुरुवनि 53 54. नंद-धाम खेलत हरि 54 55. धनि जसुमति बड़भागिनी 55 56. हरिकौ बिमल जस गावति 56 57. चलन चहत पाइनि गोपाल 57 58. सिखवति चलन जसोदा मैया 58 59. भावत हरि कौ बाल 59 60. सूच्छत चरन चलावत 60 61. बाल-बिनोद आँगन की 61 62. गहे अँगरिया ललन की 62 63. कान्ह चलत पग द्वै 63 64. चलत स्यामघन राजत, 64 65. भीतर तैं बाहर लौं आवत 65 66. चलत देखि जसुमति 66 67. सो बल कहा भयौ भगवान 67 68. देखो अद्भुत अबिगत की गति 68 69. साँवरे बलि-बलि बाल-गोबिंद 69 70. आनँद-प्रेम उमंगि जसोदा 70 71. हरि हरि हँसत मैरौ 71 72. झुनक स्याम की 72 73. चलत लाल पैजनि 73 74. मैं देख्यौं जसुदा कौ नंदन 74 75. जब तैं आँगन खेलत 75 76. जसोदा, तेरौ चिरजीवहु 76 77. मैं मोही तेरैं लाल री 77 78. कल बल कै हरि 78 79. जब दधि-मथनी 79 80. जब दधि-रिपु हरि 80 81. जब मोहन कर गही मथानी 81 82. नंद जू के बारे कान्ह, छाँड़ि दै 82 83. जसुमति दधि मथन करति 83 84. (एरी) आनँद सौं दधि मथति 84 85. त्यौं-त्यौं मोहन नाचै ज्यौं-ज्यौं 85 86. प्रात समय दधि मथति जसोदा 86 87. गोद खिलावति कान्ह सुनी 87 88. कहन लागे मोहन मैया-मैया 88 89. माखन खात हँसत किलकत हरि 89 90. बेद-कमल-मुख परसति जननी 90 91. सोभा मेरे स्यामहि पै सोहै 91 92. बाल गुपाल! खेलौ मेरे तात 92 93. पलना झूलौ मेरे लाल पियारे 93 94. क्रीड़त प्रात समय दोउ बीर 94 95. कनक-कटोरा प्रातहीं, दधि घृत 95 96. गोपालराइ दधि माँगत अरु 96 97. हरि-कर राजत माखन-रोटी 97 98. दोउ भैया मैया पै माँगत 98 99. तनक दै री माइ, माखन तनक 99 100. नैकु रहौ, माखन द्यौं 100 101. बातनिहीं सुत लाइ लियौ 101 102. दधि-सुत जामे नंद-दुवार। 102 103. कजरी कौ पय पियहु लाल 103 104. मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी 104 105. मैया, मोहि बड़ौ करि 105 106. हरि अपनै आँगन कछु 106 107. आजु सखी, हौं प्रात समय दधि 107 108. बलि-बलि जाउँ मधुर सुर 108 109. पाहुनी, कर दै तनक मह्यौ 109 110. मोहन, आउ तुम्हैं अन्हवाऊँ। 110 111. जसुमति जबहिं कह्यौ अन्हवावन 111 112. ठाढ़ी अजिर जसोदा अपनै 112 113. किहिं बिधि करि कान्हहि 113 114. (आछे मेरे) लाल हो 114 115. बार-बार जसुमति सुत बोधति 115 116. (मेरौ माई) ऐसौ हठी बाल गोबिंदा 116 117. मैया, मैं तौ चंद-खिलौना 117 118. मैया री मैं चंद लाहौंगौ 118 119. लै लै मोहन, चंदा लै 119 120. तुव मुख देखि डरत ससि भारी 120 121. जसुमति लै पलिका पौढऋावति। मरौ। 121 122. सुनि सुत, एक कथा कहौं प्यारी 122 123. नाहिनै जगाइ सकत, सुनि 123 124. जागिए, व्रजराज-कुँवर 124 125. प्रात समय उठि, सोवत सुत 125 126. जागिए गोपाल लाल, आनँद-निधि 126 127. प्रात भयौ, जागौ गोपाल 127 128. जागौ, जागौ हो गोपाल 128 129. उठौ नँदलाल भयौ भिनुसार 129 130. तुम जागौ मेरे लाड़िले, गोकुल-सुखदाई 130 131. भोर भयौ जागौ नँद-नंद 131 132. कौन परी मेरे लालहि बानि 132 133. जागिये गुपाल लाल! ग्वाल 133 134. सो सुख नंद भाग्य तैं पायौ 134 135. खेलत स्याम ग्वालनि संग 135 136. सखा कहत हैं स्याम खिसाने 136 137. मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ 137 138. मोहन, मानि मनायौ मेरौ 138 139. खेलन अब मेरी जाइ बलैया 139 140. खेलन चलौ बाल गोबिंद! 140 141. खेलन कौं हरि दूरि गयौ री 141 142. खेलन दूरि जात कत कान्हा 142 143. दूरि खेलन जनि जाहु लला मेरे 143 144. जसुमति कान्हहि यहै सिखावति 144 145. नंद बुलावत हैं गोपाल 145 146. जेंवत कान्ह नंद इकटौरे 146 147. साँझ भई घर आवहु प्यारे 147 148. बल-मोहन दोउ करत बियारी 148 149. कीजै पान लला रे यह लै 149 150. बल-मोहन दोऊ अलसाने 150 151. माखन बाल गोपालहि भावै 151 152. भोर भयौ मेरे लाड़िले 152 153. भोर भयौ जागो नँदनंदन 153 154. न्हात नंद सुधि करी स्याम 154 155. कोउ माई बोलि लेहु गोपालहि 155 156. हरि कौं टेरति है नँदरानी 156 157. बोलि लेहु हलधर भैया कौं 157 158. हरि तब अपनी आँखि मुँदाई 158 159. पौढ़िऐ मैं रचि सेज बिछाई 159 160. खेलन जाहु बाल सब टेरत 160 161. खोलत बनैं घोष निकास 161 162. खेलत मैं को काको गुसैयाँ 162 163. आवहु, कान्ह, साँझ की बेरिया 163 164. आँगन मैं हरि सोइ गए री 164 165. ब्रज घर-घर बूझत नँद-राउर 165 166. पाँड़े नहिं भोग लगावन पावै 166 167. सफल जन्म, प्रभु आजु भयौ 167 168. अहो नाथ! जेइ-जेइ सरन आए 168 169. मया करिये कृपाल, प्रतिपाल 169 170. खेलत स्याम पौरि कैं बाहर 170 171. मोहन काहैं न उगिलौ माटी 171 172. मो देखत जसुमति तेरैं ढोटा 172 173. नंदहि कहति जसोदा रानी 173 174. कहत नंद समुमति सौं बात 174 175. देखौ री! जसुमति बौरानी 175 176. गोपाल राइ चरननि हौं काटी 176 177. मैया री, मोहि माखन भावै 177 178. गए स्याम तिहि ग्वालिनि 178 179. फूली फिरति ग्वालि मन मैं री 179 180. आजु सखी मनि-खंभ-निकट 180 181. प्रथम करी हरि माखन-चोरी 181 182. सखा सहित गए माखन-चोरी 182 183. चकित भई ग्वालिनि तन हेरौ 183 184. ब्रज घर-घर प्रगटी यह बात 184 185. चली ब्रज घर-घरनि यह बात 185 186. गोपालहि माखन खान दै 186 187. जसुदा कहँ लौं कीजै कानि 187 188. माई! हौं तकि लागि रही 188 189. आपु गए हरुएँ सूनैं घर 189 190. गोपाल दुरे हैं माखन खात 190 191. ग्वालिनि जौ घर देखै आइ 191 192. जौ तुम सुनहु सजोदा गोरी 192 193. देखी ग्वालि जमुना जात 193 194. महरि! तुम मानौ मेरी बात 194 195. साँवरेहि बरजति क्यौं जु नहीं 195 196. अब ये झूठहु बोलत लोग 196 197. मेरौ गोपाल तनक, सौ 197 198. कहै जानि ग्वारिनि! झूठी बात 198 199. मेरे लाड़िले हो! तुम जाउ 199 200. इन अँखियनि आगैं तैं मोहन 200 201. चोरी करत कान्ह धरि पाए 201 202. कत हो कान्ह! काहु कैं जात। 202 203. घर गोरस जनि जाहु पराए 203 204. (कान्ह कौं) ग्वालिनि! दोष 204 205. गए स्याम ग्वालिनि-घर सूनैं 205 206. ऐसो हाल मेरैं घर कीन्हौ 206 207. करत कान्ह ब्रज-घरनि 207 208. मेरौ माई! कौन कौ दधि चोरै। 208 209. अपनौं गाउँ लेउ नँदरानी 209 210. लोगनि कहत झुकति तू बौरी 210 211. महरि तैं बड़ी कृपन है माई 211 212. अनत सुत! गोरस कौ कत जात 212 213. हरि सब भाजन फोरि पराने 213 214. कन्हैया! तू नहिं मोहि डरात 214 215. सुनु री ग्वारि! कहौं इक बात 215 216. तेरैं लाल मैरौ माखन खायौ 216 217. अनत सुत! गोरस कौ कत जात 217 218. मैया मैं नहि माखन खायौ 218 219. तेरी सौं सुनु-सुनु मेरी मैया 219 220. हाँ लगि नैकु चलौ नँदरानी 220 221. सुनि-सुनि री तैं महरि जसोदा 221 222. नंद-घरनि! सुत भलौ पढ़ायौ 222 223. ऐसी रिस मैं जो धरि पाऊँ 223 224. जसुमति रिस करि-करि 224 225. जसोदा! एतौ कहा रिसानी 225 226. बाँधौं आजु, कौन तोहि छोरैं 226 227. जाहु चली अपनैं-अपनैं घर 227 228. जसुदा! तेरौं मुख हरि जोवै 228 229. देखौ माई! कान्ह हिलकियनि 229 230. (माई) नैकुहूँ न दरद करति 230 231. कुँवर जल लोचन भरि 231 232. हरि के बदन तन धौं चाहि 232 233. मुख-छबि देखि हो नँद-घरनि 233 234. मुख-छबि कहा कहौं बनाइ 234 235. हरि-मुख देखि हो नँद-नारि 235 236. कहौ तौ माखन ल्यावैं घर 236 237. कहन लागीं अब बढ़ि-बढ़ि बात 237 238. कहा भयौ जौ घर कैं लरिका 238 239. चित दै चितै तनय-मुख ओर 239 240. जसुदा! देखि सुत की ओर 240 241. चितै धौं कमल-नैन 241 242. देखि री देखि हरि बिलखात 242 243. कब के बाँधे ऊखल दाम 243 244. वारौं हौं वे कर जिन हरि 244 245. (जसोदा) तेरौ भलौ 245 246. देखि री नंद-नंदन ओर 246 247. तब तैं बाँधे ऊखल आनि 247 248. कान्ह सौ आवत क्योंऽब 248 249. जसुदा! यह न बूझि कौ 249 250. ऐसी रिस तोकौं नँदरानी 250 251. हलधर सौं कहि ग्वालि 251 252. यह सुनि कै हलधर तहँ 252 253. एतौ कियौ कहा रही मैया 253 254. काहे कौं कलह नाध्यौ 254 255. काहे कौं जसोदा मैया 255 256. जसुदा तोहिं बाँधि क्यौं 256 257. काहे कौं हरि इतनौ 257 258. सुनहु बात मेरी बलराम 258 259. कहा करौं हरि बहुत 259 260. जसोदा! कान्हहु तैं 260 261. जसोदा ऊखल बाँधे स्याम 261 262. निरखि स्याम हलधर 262 263. जसुमति, किहिं यह सीख 263 264. तबहिं स्याम इक बुद्धि उपाई 264 265. धनि गोबिंद जो गोकुल आए 265 266. मोहन! हौं तुम ऊपर वारी 266 267. अब घर काहू कैं जनि 267 268. ब्रज-जुबती स्यामहि उन लावतिं 268 269. मोहि कहतिं जुबती सब चोर 269 270. जसुमति कहति कान्ह मेरे प्यारे 270 271. धेनु दुहत हरि देखत ग्वालनि 271 272. मैं दुहिहौं मोहि दुहन 272 273. जागौ हो तुम नँद-कुमार 273 274. जागहु हो ब्रजराज हरी 274 275. जागहु लाल, ग्वाल सब टेरत 275 276. जननि जगावति, उठौ कन्हाई 276 277. दाऊ जू, कहि स्याम पुकारौ 277 278. जागहु-जागहु नंद-कुमार 278 279. तनक कनक की दोहनी 279 280. आजु मैं गाइ चरावन जेहौं 280 281. मैया! हौं गाइ चरावन जैहौं 281 282. चले सब गाइ चरावन ग्वाल 282 283. खेलत कान्ह चले ग्वालनि 283 284. बृंदाबन देख्यौ नँद-नंदन अतिहिं 284 285. बन तैं आवत धेनु चराए। 285 286. जसुमति दौरि लिए हरि 286 287. मैं अपनी सब गाई चरैहौं 287 288. बहुतै दुख हरि सोइ गयौ री 288 289. पौढ़े स्याम जननि गुन 289 290. करहु कलेऊ कान्ह पियारे 290 291. मैया री मोहि दाऊ टेरत 291 292. बोलि लियौ बलरामहि 292 293. अति आनंद भए हरि धाए 293 294. नंद महर के भावते, जागौ 294 295. लालहि जगाइ बलि गई 295 296. उठे नंद-लाल सुनत जननी 296 297. दोउ भैया जेंवत माँ आगैं 297 298. (द्वारैं) टेरत हैं सब ग्वाल 298 299. बन पहुँचत सुरभी लइँ 299 300. चले सब बृंदाबन समुहाइ 300 301. गैयनि घेरि सखा सब 301 302. चरावत बृंदाबन हरि धेनु 302 303. बृंदाबन मोकौं अति भावत 303 304. ग्वाल सखा कर जोरि 304 305. काँधे कान्ह कमरिया कारी 305 306. वै मुरली की टेर सुनावत 306 307. हरि आवत गाइनि के पाछे 307 308. आजु हरि धेनु चराए 308 309. आजु बने बन तैं ब्रज आवत 309 310. बल-मोहन बन तैं दोउ आए 310 311. मैया! हौं न चरैहौं गाइ 311 312. मैया! बहुत बुरौ बलदाऊ 312 313. तुम कम गाइ चरावन जात 313 314. माँगि लेहु जो भावै प्यारे 314 315. सुनि मैया, मैं तो पय पीवौं 315 316. आछौ दूध पियौ मेरे तात 316 317. ये दोऊ मेरे गाइ-चरैया। 317 318. सोवत नींद आइ गई स्यामहि 318 319. देखत नंद कान्ह अति सोवत 319 320. जागियै गोपाल लाल, प्रगट भई 320 321. हेरी देत चले सब बालक 321 322. चले बन धेनु चारह कान्ह 322 323. रुम चढ़ि काहे न टेरौ 323 324. जब सब गाइ भईं इक ठाई 324 325. अब कैं राखि लेहु गोपाल 325 326. देखौ री नँद-नंदन आवत 326 327. रजनी-मुख बन तैं बने आवत 327 328. दै री मैया दोहनी, दुहिहौं मैं गैया 328 329. बाबा मोकौं दुहन सिखायौ 329 330. जननि मथति दधि, दुहत कन्हाई 330 331. राखि लियौ ब्रज नंद-किसोर 331 332. देखौ माई! बदरनि की बरियाई 332 333. (तेरैं) भुजनि बहुत बल होइ 333 334. जयति नँदलाल जय जयति 334 335. जै गोबिंद माधव मुकुंद हरि 335 अंतिम पृष्ठ 375 वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः