विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
6. भीष्म पर्व
अध्याय : 10
गंगा में उत्तर से आकर मिलने वाली दो छोटी, पर महत्त्वपूर्ण नदियों के नाम इस सूची में हैं, एक ताम्रा (तामड नदी) और दूसरी कोका। ताम्रा विश्व के भूगोल में सबसे अधिक प्रसिद्धि पाने योग्य है। इसने अपने लिए पहाड़ में इतनी गहरी घाटी काटी है कि नदी की उपरली धारा झूलती जान पड़ती है। इसका स्रोत सिक्किम के पश्चिम में है। इसी के साथ गौरी शंकर चोटी की ओर से उतरने वाली अरुणा नदी है। दोनों ‘सुनकोसी’ नदी के साथ जहाँ मिली हैं, वह ताम्रारुण संगम के नाम से प्रसिद्ध था और वहीं कोकामुख स्वामी नामक देवता का प्रसिद्ध मन्दिर और तीर्थ था। उसके समीप इस धारा को कोका भी कहते थे, जिसका विशेष उल्लेख भीष्म पर्व की नदी-सूची में है। बंगाल में कई अच्छी नदियां उत्तर की ओर से गंगा में मिली हैं, किन्तु इस सूची में केवल करतोया का नाम है, जो आज भी इसी नाम से प्रसिद्ध है और बंगाल-असम की सीमा बनाती है। उस पार भारत का महान् नद ब्रह्मपुत्र है, जिसकी शाखा लोहित्या (वर्तमान लोहित नदी) का यहाँ उल्लेख है। दक्षिण की ओर से गंगा में मिलने वाला महानद शोण (वर्तमान सोन) है। इसे हिरण्यबाहु भी कहते थे। यहाँ स्त्रीलिंग में इसे शोणा कहा गया है। शोण की एक प्रसिद्ध शाखा अमरकण्टक की ओर से आकर उसमें मिली है। उसका पुराना नाम ज्योतिरथा था, जिसे आजकल जोहिला कहते हैं। कालिदास ने शोण और ज्योतिरथा के संगम का विशेष उल्लेख किया है[1], जहाँ मल्लिनाथ ने ज्योतिरथा से अपरिचित होने के कारण पाठ बदल कर भागीरथी कर दिया है। स्वयं महाभारत में भी शोण और ज्योतिरथा के संगम को पवित्र तीर्थ-स्थान भी कहा है।[2] विन्ध्य की बड़ी नदियों में नर्मदा का नाम आया है और अमरकण्टक से निकलने पर उसकी बिल्कुल आरम्भिक धारा कपिला का भी नाम है। दूसरी नदी पयोष्णी है, जिसकी पहचान ताप्ती से की जा सकती है, क्योंकि ताप्ती का नाम सूची में नहीं है। वस्तुतः सूची में पयोष्णी नाम दो बार है। कुछ विद्वान पयोष्णी की पहचान पेनगंगा (गोदावरी की शाखा) से भी करते हैं। कई पुराणों में पयोष्णी और ताप्ती दोनों नाम साथ आये हैं। अतएव यह सम्भव है कि ताप्ती के अतिरिक्त किसी दूसरी नदी की संज्ञा भी पयोष्णी रही हो। एक छोटी नदी पलाशिनी (वर्तमान परास नदी) है। यह छोटा नागपुर जिले में बहकर कोयल नदी में मिलती है, जो स्वयं शोण की शाखा है। दूसरी पलाशिनी नदी (वर्तमान पलाश्यों) रैवतक या गिरनार पर्वत के पास थी, पर यह इस सूची में अभीष्ट नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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