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भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
2. सभा पर्व
अध्याय : 23-29
दूसरी ओर पश्चिम में रत्नाकार के उस पार के तीन अतिप्रसिद्ध पोतपत्तनों का उल्लेख इस प्रकरण में आया है, जिनके साथ रोम-युग में भारतवर्ष का विशेष व्यापार होता था। ये तीन नाम इस प्रकार हैं- अंताखी, रोमा और यवनों की पुरी:
अंताखी सीरिया का एन्तीओकस नगर था, जिसे सिकन्दर के उत्तराधिकारी राजा एन्तीओकस (प्रा. अंतिओक) ने बसाया था। रोमा रोम साम्राज्य की प्रसिद्ध राजधानी थी, जिसका उच्चारण आज भी रोमा है। यवनों की पुरी नील नदी के किनारे एलेग्जेंड्रिया थी। सहदेव ने अपने दूत भेजकर इन सबके साथ राजनैतिक सम्बन्ध स्थापित कर उन्हें अपने अनुकूल बनाया। इस प्रकार की कल्पना यहाँ महाभारतकार ने की है। अवश्य ही यह प्रकरण आंध्र-सातवाहन युग में इस दिग्विजय पर्व के अन्तर्गत लिया गया होगा, जब भरुकच्छ के पोतपत्तन से अंताखी, रोमा और यवनपुरी के साथ व्यापार का सीधा सम्बन्ध था। अनेक पार्थियों को बल और शान्ति से अपने वश में लाकर और उन्हें करद बनाकर सहदेव इन्द्रप्रस्थ लौट आया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सभा0 28। 49
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