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गीता दर्पण -स्वामी रामसुखदास
106. गीता के छन्द
गीता में प्रयुक्त छन्दों पर विचार
उपजाति छन्दनोट- 1. दूसरे अध्याय के छठे श्लोक में पहला और दूसरा चरण जगती छन्द का है, शेष चरण त्रिष्टुप् छन्द के हैं। 2. दूसरे अध्याय के उन्तीसवें श्लोक में दूसरा चरण जगती छन्द का है, शेष चरण त्रिष्टुप् छन्द के हैं। 3. आठवें अध्याय के दसवें श्लोक में चौथा चरण जगती छन्द का है, शेष चरण त्रिष्टुप् छन्द के हैं। 4. पंद्रहवें अध्याय के तीसरे श्लोक में पहला चरण जगती छन्द का है, शेष चरण त्रिष्टुप् छन्द के हैं। (यहाँ गीता संबंधी छन्दों का विषय आवश्यकतानुसार संक्षेप में लिखा गया है। अग्निपुराण, नारदपुराण और अन्यान्य छंद ग्रंथों में छंदों का विस्तार से वर्णन है।) |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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