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गीता दर्पण -स्वामी रामसुखदास
28. गीता में देवताओं की उपासना
देवता दो प्रकार के होते हैं-- 'आजान-देवता' और 'मर्यदेवता'। आजान-देवता वे कहलाते हैं, जो कल्प के आदि से हैं और कल्प के अंततक रहते हैं तथा 'मर्त्यदेवता' वे कहलाते हैं, जो मनुष्य शरीर में पुण्य कर्म करके स्वर्ग आदि लोकों को प्राप्त होते हैं और पुण्य कर्मों के अनुशार न्यूनाधिकरूप से स्वर्ग में रहते हैं मनुष्यों की अपेक्षा देवताओं की योनि ऊँची मानी जाती है, देवताओं के लोक ऊँचे माने जाते हैं, उनके भोग, शरीर, सुख-सामग्री ऊँची मानी जाती है। उनकी अपेक्षा मनुष्यलोक और मनुष्यलोक के भोग, शरीर, सुख-सामासुख-सामग्री नीची मानी जाती हैं। देवताओं के लोक, भोग, शरीर आदि सभी दिव्य होते हैं -'दिव्यांदिवि देवभोगान्'[1] और उनके लोक, भोग, इंद्रियों की शक्ति, आयु आदि सभी विशाल विशाल होते हैं-'स्वर्गलोकं विशालम्'[2] परंतु उनके लोक, भोग, शरीर, इंद्रियों आदि में जो कुछ दिव्यता[3], विलक्षणता, विशालता होती है, वह सब पुण्य कर्मों के कारण ही होती है। जो आदमी संसार में रचे-पचे हैं, जो उच्छ्रंखलता पूर्वक आचरण करते हैं, उनकी अपेक्षा श्रद्धा-भक्ति से देवताओं की उपासना करने वाले श्रेष्ठ हैं। कारण कि वे वेदों में शास्त्रों में तथा वैदिक मंत्रों में, यज्ञ-याग आदि के अनुष्ठान में श्रद्धा रखते हैं और सकामभाव से तत्परतापूर्वक सांगोपाग यज्ञादि शुभ कर्मों का अनुष्ठान करते हैं। उनमें यहाँ के भोगों से कुछ सन्यम भी होता है और उनका अंत:करण भी कुछ शुद्ध होता है। ऐसे लोग शुभ कर्मों के प्रभाव से देवताओं के लोकों में जाकर वहाँ के दिव्य भोग भोगते हैं और स्वर्ग के प्रापक पुण्य के समाप्त होने पर फिर मृत्युलोक में आकर जन्म लेते हैं।ऐसे स्वर्ग से लौटकर आये मनुष्यों में स्वाभिक ही शुद्धि रहती है। उनमें स्वभाविक ही दान देने आदि की तरफ प्रवृत्ति रहती है। परंतु निष्कामभाव से अपने कर्तव्य का पालन करने से तथा भगवद्बुद्धि से देवताओं का पूजन करने मनुष्य जैसी शुद्धि होती है, वैसी शुद्धि सकामभाव से देवताओं का पूजन-आराधना करने वालों की नहीं होती, क्योंकि उनमें स्वर्ग आदि लोकों की तथा वहाँ के भोगों की प्रबल कामना रहती है। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (9।20)
- ↑ (9।21)
- ↑ देवताओं की दिव्यता भगवान् की दिव्यता के समान नहीं है। भगवान् की दिव्यता तो अलौकिक है, चिन्मय है, पर देवताओं की दिव्यता लौकिक है, प्राकृत है और नष्ट होने वाली है।
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