विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
18. स्वर्गारोहण पर्व
अध्याय : 1-5
104. स्वर्गारोहण पर्व
स्वर्गारोहण पर्व महाभारत का उपसंहार है। जब युधिष्ठिर स्वर्ग में पहुँच गये, तो उन्होंने एक विचित्र बात देखी। एक ओर उनके भाई नरक के दुःख से हाय-हाय कर रहे थे और दूसरी ओर दुर्योधन और उसके साथी सुख मना रहे थे। युधिष्ठिर के लिए यह पहेली थी और उन्होंने तुर्सी के साथ इसका कारण पूछा। वह तो यहाँ तक अड़ गये कि वे अपने भाइयों के साथ नर्क में ही रहेंगे, उन्हें स्वर्ग सुख नहीं चाहिये। पर उन्हें बताया गया कि दुर्योधन का पुण्य कर्म थोड़ा है और पाप कर्म बहुत है और भाइयों का पुण्य कर्म बहुत है और पापकर्म थोड़ा है। अतः सूचीकटाह न्याय से दोनों के लिस क्रमशः स्वर्गवास और नरकवास का प्रबन्ध किया गया था। इससे युधिष्ठिर की जान में जान आई और उन्हें स्वर्ग के न्याय पर विश्वास हुआ। इस प्रकार महाभारत का महान शास्त्र सम्पूर्ण हुआ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्र.स. | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज