|
अनुष्टुप् छन्द
गीता में अनुष्टुप् छन्द के छः सौ पैंतालीस श्लोकों में पाँच सौ सात श्लोक ठीक ‘पथ्यावक्त्र’ के लक्षणों से युक्त हैं। इनमें पहले और तीसरे चरणों में ‘यगण’ प्रयुक्त हुए हैं; अतः इन्हें ‘य- विपुला’ भी कह सकते हैं- ‘य-विपुला यकारोऽब्धेः’ (वाग्वल्लभ)। शेष एक सौ अड़तीस श्लोकों में से
- एक सौ सत्ताईस श्लोकों में पहले या तीसरे किसी एक चरण में ‘यगण’ के अतिरिक्त गण प्रयुक्त हुए हैं, वे ‘व्यक्तिपक्ष-विपुला’ संज्ञा वाले श्लोक हैं।
- तीन श्लोकों में पहले और तीसरे चरणों में (‘यगण’ के अतिरिक्त) एक ही प्रकार के अन्य गण प्रयुक्त हुए हैं, वे ‘जातिपक्ष- विपुला’ संज्ञा वाले श्लोक हैं।
- आठ श्लोकों में पहले और तीसरे चरणों में (‘यगण’ के अतिरिक्त) अलग-अलग गण प्रयुक्त हुए हैं, वे ‘संकीर्ण-विपुला’ संज्ञा वाले श्लोक है।
जिनमें पहले या तीसरे किसी एक चरण में ‘नगण’, ‘भगण’, ‘रगण’, ‘मगण’, और ‘सगण’ प्रयुक्त हुए हैं।
- व्यक्तिपक्ष विपुला संज्ञा वाले 127 श्लोकों की तालिका
अध्याय
|
श्लोक
|
छन्द का नाम
|
श्लोक प्रतीक
|
पहला चरण
|
तीसरा चरण
|
1
|
5
|
र-विपुला
|
-
|
धृष्टकेतु.
|
1
|
9
|
-
|
न-विपुला
|
अन्ये च.
|
1
|
25
|
न-विपुला
|
-
|
भीष्मद्रोण.
|
1
|
33
|
र-विपुला
|
-
|
येषामर्थे.
|
1
|
43
|
-
|
र-विपुला
|
दोषैरेतैः.
|
2
|
2
|
न-विपुला
|
-
|
कुस्त्वा.
|
2
|
12
|
र-विपुला
|
-
|
न त्वेवाहं.
|
2
|
26
|
र-विपुला
|
-
|
अथ चैनं.
|
2
|
31
|
-
|
म-विपुला
|
स्वधर्ममपि.
|
2
|
32
|
र-विपुला
|
-
|
यदृच्छया.
|
2
|
36
|
भ-विपुला
|
-
|
अवाच्य.
|
2
|
46
|
स-विपुला
|
-
|
यावानर्थ.
|
2
|
52
|
न-विपुला
|
-
|
यदा ते.
|
2
|
56
|
भ-विपुला
|
-
|
दुखेश्वनु.
|
2
|
61
|
-
|
र-विपुला
|
तानि सर्वाणि.
|
2
|
63
|
-
|
र-विपुला
|
क्रोधाद्भवति.
|
2
|
67
|
न-विपुला
|
-
|
इंद्रियाणां.
|
2
|
71
|
म-विपुला
|
-
|
विहाय कामान्.
|
3
|
1
|
र-विपुला
|
-
|
ज्यायसी.
|
3
|
5
|
न-विपुला
|
-
|
न हि कश्चित्.
|
3
|
8
|
-
|
भ-विपुला
|
नियतं कुरु.
|
3
|
11
|
-
|
र-विपुला
|
देवान्भाव.
|
3
|
19
|
भ-विपुला
|
-
|
तस्मादसक्त.
|
3
|
21
|
-
|
भ-विपुला
|
यद्यदाचरति.
|
3
|
26
|
भ-विपुला
|
-
|
न बुद्धिभेदं.
|
3
|
35
|
भ-विपुला
|
-
|
श्रेयान् स्व.
|
3
|
37
|
र-विपुला
|
-
|
काम एष क्रोध.
|
4
|
2
|
-
|
न-विपुला
|
एवं परंपरा.
|
4
|
6
|
र-विपुला
|
-
|
अजोऽपि.
|
4
|
10
|
-
|
न-विपुला
|
वीतरागभय.
|
4
|
13
|
न-विपुला
|
-
|
चातुर्वर्ण्य.
|
4
|
24
|
भ-विपुला
|
-
|
ब्रह्मार्पण.
|
4
|
30
|
-
|
भ-विपुला
|
अपरे नियता.
|
4
|
31
|
न-विपुला
|
-
|
यज्ञशिष्टामृत.
|
4
|
38
|
न-विपुला
|
-
|
न हि ज्ञानेन.
|
4
|
40
|
-
|
न-विपुला
|
अज्ञश्चाश्रद्दधान.
|
5
|
13
|
न-विपुला
|
-
|
सर्वकर्माणि.
|
5
|
22
|
-
|
म-विपुला
|
ये हि संस्पर्शजा
|
5
|
29
|
न-विपुला
|
-
|
भोक्तारं यज्ञ.
|
6
|
1
|
भ-विपुला
|
-
|
अनाश्रितः.
|
6
|
10
|
न-विपुला
|
-
|
योगी युञ्जीत.
|
6
|
11
|
-
|
र-विपुला
|
शुचौ देशे.
|
6
|
14
|
न-विपुला
|
-
|
प्रशान्तात्मा.
|
6
|
15
|
-
|
न-विपुला
|
युञ्जन्नेवं.
|
6
|
25
|
न-विपुला
|
-
|
शनैः शनैः.
|
6
|
26
|
भ-विपुला
|
-
|
यतो. यतो.
|
6
|
27
|
-
|
न-विपुला
|
प्रशान्तमनसं.,
|
6
|
36
|
-
|
न-विपुला
|
असंयतात्मना.
|
6
|
42
|
-
|
न-विपुला
|
अथवा योगि.
|
7
|
6
|
-
|
न-विपुला
|
एतद्योनीनि.
|
7
|
11
|
-
|
म-विपुला
|
बलं बलवतां.
|
7
|
14
|
न-विपुला
|
-
|
दैवी ह्येषा.
|
7
|
17
|
र-विपुला
|
-
|
तेषां ज्ञानी.
|
7
|
19
|
-
|
भ-विपुला
|
बहूनां जन्मना
|
7
|
25
|
म-विपुला
|
-
|
नाहं प्रकाशः.
|
7
|
30
|
-
|
भ-विपुला
|
साधिभूतादि.
|
8
|
2
|
-
|
भ-विपुला
|
अधियज्ञः.
|
8
|
14
|
भ-विपुला
|
-
|
अनन्यचेताः.
|
8
|
24
|
-
|
म-विपुला
|
अग्निज्योर्ति.
|
8
|
27
|
र-विपुला
|
-
|
नैते सृती.
|
9
|
2
|
र-विपुला
|
-
|
राजविद्या.
|
9
|
3
|
भ-विपुला
|
-
|
अश्रद्दधानाः
|
9
|
10
|
भ-विपुला
|
-
|
मयाध्यक्षेणा.
|
9
|
13
|
-
|
न-विपुला
|
महात्मानस्तु.
|
9
|
17
|
न-विपुला
|
-
|
पिताहमस्य.
|
9
|
26
|
-
|
म-विपुला
|
पत्रं. पुष्पं फलं.
|
10
|
2
|
न-विपुला
|
-
|
न मे विदुः.
|
10
|
5
|
-
|
म-विपुला
|
अहिंसा समता.
|
10
|
6
|
र-विपुला
|
-
|
महर्षय.
|
10
|
7
|
म-विपुला
|
-
|
एतां विभूतिं.
|
10
|
8
|
भ-विपुला
|
-
|
अहं सर्वस्य.
|
10
|
25
|
न-विपुला
|
-
|
महर्षीणां.
|
10
|
26
|
-
|
भ-विपुला
|
अश्वत्थःसर्व.
|
10
|
32
|
-
|
म-विपुला
|
सर्गाणामादि.
|
11
|
1
|
भ-विपुला
|
-
|
मदनुग्रहाय.
|
11
|
11
|
न-विपुला
|
-
|
दिव्यमाल्याम्बर.
|
11
|
53
|
न-विपुला
|
-
|
नहां वेदैर्न.
|
11
|
55
|
भ-विपुला
|
-
|
मत्कर्मकृन्म.
|
12
|
9
|
-
|
भ-विपुला
|
अथ चित्तं.
|
12
|
19
|
-
|
न-विपुला
|
तुल्यनिन्दा.
|
13
|
1
|
म-विपुला
|
-
|
इदं शरीरं.
|
13
|
17
|
-
|
र-विपुला
|
ज्योतिषमपि.
|
13
|
18
|
-
|
म-विपुला
|
इति क्षेत्र.
|
13
|
23
|
न-विपुला
|
-
|
य एवं वेत्ति.
|
13
|
31
|
र-विपुला
|
-
|
अनादित्वान्नि.
|
14
|
5
|
न-विपुला
|
-
|
सत्वं रजस्तम.
|
14
|
6
|
र-विपुला
|
-
|
तत्र सत्वं.
|
14
|
10
|
र-विपुला
|
-
|
म-विपुला
|
14
|
15
|
-
|
भ-विपुला
|
रजसि प्रलयं.
|
14
|
17
|
-
|
भ-विपुला
|
सत्वात्संजायते.
|
14
|
19
|
म-विपुला
|
-
|
नान्यं गुणेभ्यः
|
15
|
9
|
र-विपुला
|
-
|
श्रोत्रं चक्षुः.
|
15
|
18
|
-
|
म-विपुला
|
यस्मात्क्षर.
|
15
|
19
|
-
|
न-विपुला
|
यो मामेव.
|
15
|
20
|
-
|
र-विपुला
|
इति गुह्यतमं.
|
16
|
6
|
म-विपुला
|
-
|
द्वौ भूतसर्गौ.
|
16
|
10
|
-
|
म-विपुला
|
काममाश्रित्य.
|
16
|
11
|
-
|
न-विपुला
|
चिन्तामपरि.
|
16
|
13
|
-
|
न-विपुला
|
इदमद्य मया.
|
16
|
19
|
-
|
न-विपुला
|
तानहं द्विषतः.
|
16
|
22
|
म-विपुला
|
-
|
एवैर्विमुक्तः.
|
17
|
10
|
न-विपुला
|
-
|
यातयामं.
|
17
|
11
|
-
|
भ-विपुला
|
अफलाकाङिक्ष.
|
17
|
12
|
न-विपुला
|
-
|
अभिसन्धाय.
|
17
|
16
|
म-विपुला
|
-
|
मनःप्रसाद.
|
17
|
19
|
र-विपुला
|
-
|
मूढप्राहेणा.
|
17
|
22
|
म-विपुला
|
-
|
अदेशकाले.
|
17
|
25
|
-
|
न-विपुला
|
तदित्यनभि.
|
17
|
26
|
-
|
न-विपुला
|
सद्भावे साधु.
|
18
|
12
|
म-विपुला
|
-
|
अनिष्टमिष्टं.
|
18
|
13
|
-
|
म-विपुला
|
पञ्चैतानि.
|
18
|
23
|
न-विपुला
|
-
|
नियतं संग.
|
18
|
26
|
-
|
र-विपुला
|
मुक्तसंग
|
18
|
32
|
न-विपुला
|
-
|
अधर्मं.
|
18
|
33
|
भ-विपुला
|
-
|
धृत्या यया.
|
18
|
36
|
भ-विपुला
|
-
|
सुखं त्विदानीं.
|
18
|
37
|
न-विपुला
|
-
|
यत्तदग्रे विष.
|
18
|
38
|
-
|
न-विपुला
|
विषयेंद्रिय.
|
18
|
41
|
न-विपुला
|
-
|
ब्राह्मणक्षत्रिय.
|
18
|
45
|
न-विपुला
|
-
|
स्वे स्वे कर्मण्य.
|
18
|
46
|
म-विपुला
|
-
|
यतः प्रवृत्तिः.
|
18
|
47
|
भ-विपुला
|
-
|
श्रेयान् स्व.
|
18
|
52
|
म-विपुला
|
-
|
विविक्तसेवी.
|
18
|
56
|
न-विपुला
|
-
|
सर्वकर्माण्यपि.
|
18
|
64
|
-
|
न-विपुला
|
सर्वगुह्यतमं.
|
18
|
70
|
न-विपुला
|
-
|
अध्येष्यते.
|
18
|
72
|
भ-विपुला
|
-
|
व्यासप्रसादात्.
|
|
|