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गीता दर्पण -स्वामी रामसुखदास
18. गीता में जाति का वर्णन
सभी मनुष्यों को चाहिए कि वे अपने-अपने कर्तव्य कर्मों के द्वारा अपनी जाति की रक्षा करें। इसके लिए पाँच बातों का ख्याल रखना जरूरी है- 1. विवाह- कन्या को लेना और देना अपनी जाति में ही होना चाहिए क्योंकि दूसरी जाति की कन्या लेने से रज-वीर्य की विकृति के कारण उनकी संतानों में विकृति (वर्णसंकरता) आयेगी। विकृत संतानों में अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा नहीं होगी। श्रद्धा न होने से वे उन पूर्वजों के लिए श्राद्ध-तर्पण नहीं करेंगे, उनको पिंड पानी नहीं देंगे। कभी लोक-लज्जा में आकर दे भी देंगे, तो भी वह श्राद्ध तर्पण, पिंड पानी पितरों को मिलेगा नहीं। इससे पितर लोग अपने स्थान से गिर जाएंगे।[1] गीता कहती है कि जो शास्त्र विधि को छोड़कर मनमाने ढंग से कर्म करता है, उसे न तो अंतःकरण की शुद्धिरूप सिद्धि मिलती है न सुख मिलता है और न परमगति की प्राप्ति ही होती है।[2] अतः मनुष्य को कर्तव्य अकर्तव्य के विषय में शास्त्र को ही सामने रखना चाहिए।[3] 2. भोजन- भोजन भी अपनी जाति के अनुसार ही होना चाहिए। जैसे ब्राह्मण के लिए लहसुन, प्याज खाना दोष है परंतु शूद्र के लिए लहसुन, प्याज खाना दोष नहीं है। यदि हम दूसरी जाति वाले के साथ भोजन करेंगे तो अपनी शुद्धि तो उनमें जाएगी नहीं, पर उनकी अशुद्धि अपने में जरूर आ जाएगी। अतः मनुष्य को अपनी जाति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। 3. वेशभूषा- पाश्चात्य देश का अनुकरण करने से आज अपनी जाति की वेशभूषा प्रायः भ्रष्ट हो गयी है। प्रायः सभी जातियों की वेशभूषा में दोष आ गया है, जिससे ‘कौन किस जाति का है’- इसका पता ही नहीं लगता। अतः मनुष्य को अपनी जाति के अनुसार ही वेशभूषा रखनी चाहिए। 4. भाषा- अन्य भाषाओं को, लिपियों को सीखना दोष नहीं है, पर उनके अनुसार स्वयं भी से बन जाना बड़ा भारी दोष है। जैसे अंग्रेज़ी सीखकर अपनी वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन अंग्रेजों का ही बना लेना उस भाषा को लेना नहीं है, प्रत्युत अपने-आपको खो देना है। अपनी वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन वैसे का वैसा रखते हुए ही अंग्रेजी सीखना अंग्रेजी भाषा एवं लिपि को लेना है। अतः अन्य भाषाओं का ज्ञान होने पर भी बोलचाल अपनी भाषा में ही होनी चाहिए। 5. व्यवसाय- व्यवसाय (काम-धंधा) भी अपनी जाति के अनुसार ही होना चाहिए। गीता ने ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के लिए अलग-अलग कर्मों का विधान किया है।[4] |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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