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भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
उद्योग पर्व
अध्याय : 22-28
यहाँ कथाकार ने यह उल्लेख किया है कि युधिष्ठिर ने संजय के सामने धर्म और कर्म के तारतम्य की व्याख्या करने के लिए कृष्ण को प्रेरित किया, यद्यपि एक बार कृष्ण द्वारका जा चुके थे और दोबारा उनके उपप्लव्य आने का उल्लेख नहीं है। हो सकता है कि जैसे और लोग रहे थे, वे भी आ गए हों; क्योंकि ऐसे गाढ़े समय में उनसे सलाह लेकर ही पाण्डव आगे बढ़ सकते थे। कृष्ण की ओर से संजय के सामने कर्म की बहुत ही सुन्दर मीमांसा की गई है, “हे संजय, मैं तो सबके लिए शम चाहता हूं, पर जहाँ धृतराष्ट्र और दुर्योधन जैसे गिद्ध हों, वहाँ युद्ध क्यों न छिड़ जाय? कर्म और विद्या इन दोनों के विषय में प्रज्ञाशील ब्राह्मणों के भिन्न-भिन्न मत हैं। कोई कर्म से सिद्धि, कोई विद्या (ज्ञान) से सिद्धि कहते हैं। कैसा भी विद्वान या ज्ञानी हो, बिना खाए उसकी भूख नहीं बुझती। जो ज्ञान कर्म को साधता है, उसी का फल है, दूसरे का नहीं। यहाँ तो कर्म का ही फल दिखाई देता है। जल पीने से ही प्यासे की प्यास मिटती है। जो कर्म का त्याग ठीक समझता हो, उस निर्बल का लप-लप करना व्यर्थ है (तत्र योऽन्यत्कर्मणः साधुमन्येन्मोघं तस्य लपितं दुर्बलस्य)। कर्म से ही देवता चमक रहे हैं। कर्म से ही वायु बह रही है। सूर्य तन्द्रारहित कर्म से ही नित्य उदय होकर दिन और रात का विधान कर रहा है। चन्द्रमा बिना आलस्य के नक्षत्रों से सम्पर्क सिद्ध करके मास और अर्धमास बना रहे हैं। अग्नि बिना तन्द्रा के प्रज्वलित रहते हुए प्रजाओं के लिए कार्य कर रहे हैं। देवी पृथ्वी बिना तन्द्रा से अपने बल से इस भारी बोझे को ढो रही है। नदियां बिना तन्द्रा के जलों का प्रवाह कर रही हैं। बिना तन्द्रा के मेघ अन्तरिक्ष और द्युलोक को अपनी गम्भीर ध्वनि से गुंजाते हुए जल बरसाते हैं। देवराज इन्द्र ने प्रमाद के बिना ब्रह्मचर्य का पालन किया और देवों में श्रेष्ठता पाई। सुख और मन की प्रिय इच्छाओं को रोक कर एवं सत्य धर्म और दम के प्रमाद-रहित पालन से देवराज इन्द्र ने आधिपत्य प्राप्त किया। बृहस्पति ने चित्त और इन्द्रियों को रोककर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया। इसीलिए उन्हें देवों में गौरव मिला। जितने देव और मुनि हैं, वे ब्रह्मचर्य से ही वेदज्ञान और कर्म का सेवन करते हुए तेजस्वी बनते हैं। हे संजय, सब लोक के लिए इस सहज नियम को जानते हुए भी क्यों तुम कौरवों के पक्ष में ही खिंच रहे हो? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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