विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
1. आदि पर्व
अध्याय : 2
2. कथा-सार तथा पर्व-सूची
वर्तमान महाभारत के 18 पर्वों का विभाग कितना प्राचीन है, यह सुनिश्चित नहीं। लेकिन इन पर्वों के पीछे महाभारत का दूसरे प्रकार का विभाग था, जिसमें 100 पर्व गिने जाते थे। इन पर्वसंग्रह-पर्व[1] को भारत का समास या संक्षिप्त रूप कहा गया है। वस्तुतः यह महाभारत की अत्यंत प्राचीन विषय-सूची समझी जा सकती है, जब उग्रश्रवा सूत के मुख से सम्पन्न हुए महाभारत का बृहत्-रूप अस्तित्व में आ चुका था। इस भारत इतिहास के पर्वों का संग्रह इस प्रकार हैः सबसे पहले (1) पर्वानुक्रमणी-पर्व, फिर (2) पर्वसंग्रह-पर्व, (3) पौष्य-पर्व, (4) पौलोम-पर्व, (5) आस्तीक-पर्व, और (6) आदिवंशावतारण-पर्व हैं। उसके बाद अत्यन्त अद्भुत (7) सम्भव-पर्व है। फिर (8) लाक्षागृह दाह-पर्व, (9) हैडिम्ब-पर्व, (10) बकवध-पर्व, और (11) चैत्ररथ-पर्व हैं। इसके बाद (12) देवी पांचाली का स्वयंवर-पर्व है, और पुनः (13) वैवाहिक-पर्व है। तदनन्तर (14) विदुरागमन-पर्व, (15) राज-लम्भ-पर्व, (16) अर्जुन वनवास-पर्व, और (17) सुभद्राहरण पर्व हैं। सुभद्रा का हरण हो जाने के बाद कृष्ण और बलराम के दायज लेकर इन्द्रप्रस्थ जाने की कथावाला (18) हरणहारिक-पर्व है। उसके बाद (19) खाण्डवदाह-पर्व है, जिसमें मय के साथ पाण्डवों का परिचय हुआ। उसके बाद (20) सभा-पर्व, तब (21) मन्त्र-पर्व (22) जरासन्ध वध-पर्व और (23) दिग्विजय-पर्व की कथा है। दिग्विजय के बाद (24) राजसूयिक-पर्व, तब (25) अर्घाभिहरण-पर्व है, जिसमें अनेक देशों के राजा युधिष्ठिर के लिए तरह-तरह की भेंट लेकर आये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आदि. 2।33।233
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