शिवलोक वह लोक है जहाँ भगवान शिव निवास करते हैं।
- ब्रह्मलोक और परलोक
मनुष्य लोक के सूर्य तथा तारागण के पार तथा आकाश तत्त्व के भी पार एक सूक्ष्म लोक है जहाँ प्रकाश ही प्रकाश है। उस प्रकाश के अंश-मात्र में ब्रह्मा, विष्णु तथा महादेव शंकर की अलग अलग पुरिया है। इन देवताओं के शरीर हड्डी-मांसादी के नहीं बल्कि प्रकाश के है, इन्हें दिव्य चक्षुओ के द्वारा ही देखा जा सकता है। यहाँ दुःख अथवा अशांति नही होती यहाँ संकल्प तो होते हैं और क्रियाए भी होती है। और बातचीत भी होती है। परन्तु आवाज नही होती। इन पुरियों के भी पार एक और लोक है। जिसे ब्रह्मलोक, परलोक, मुक्तिधाम, शांतिधाम, शिवलोक इत्यादी नामों से सम्बोधित किया जाता है। इसमें सुनहरे लाल रंग का प्रकाश फैला हुआ है जिसे ही ब्रह्म-तत्त्व, छठा तत्त्व अथवा महातत्त्व कहा जा सकता है। इसके अंशमात्र ही में ज्योतिर्बिंदु आत्मायें मुक्ति की अवस्था में रहती है, यहाँ हर धर्म की आत्माओ के संस्थान है।
- शिव का निवास
सभी पुरियों के ऊपर सदा मुक्त, चेतन्य, ज्योतिबिंदु रूप परमात्मा "सदाशिव " का निवास स्थान है इस लोक में मनुष्यात्मा कल्प के अंत में, सृष्टि का महाविनाश होने के बाद अपने-अपने कर्मो का फल भोग कर तथा पवित्र होकर ही जाती है। यहाँ मनुष्यात्मा देह बंधन, कर्म-बंधन तथा जन्म मरण से रहित होती है यहाँ न संकल्प है, न वचन और न कर्म इस लोक में परमपिता परमात्मा शिव के सिवाय अन्य कोई "गुरु" इत्यादी नही ले जा सकता इस लोक में जाना ही अमरनाथ, रामेश्वरम अथवा विश्वेश्वर नाथ की सच्ची यात्रा करना है, क्योंकि अमरनाथ परमपिता शिव यही रहते है।[1]