विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
3. आरण्यक पर्व
अध्याय : 295-299
40. यक्ष-युधिष्ठिर-प्रश्नोत्तरी
प्रश्न- किससे मनुष्य मृत समझा जाता है? किससे राष्ट्र मृत होता है? श्राद्ध कैसे निष्प्राण हो जाता है और यज्ञ कैस मृत हो जाता है? उत्तर- दरिद्र पुरुष मृत होता है। अराजक राष्ट्र मृत होता है। बिना श्रोत्रिय के श्राद्ध मृत होता है और दक्षिणा के बिना यज्ञ मृत होता है। प्रश्न- दिशा कौन-सी है? जल किसे कहते हैं? अन्न क्या है? विष क्या है? श्राद्ध का ठीक काल बताओ और हे पार्थ! जल पीओ और ले जाओ। उत्तर- सन्त ही वह दिशा है, जहाँ सबके लिए गति है। आकाश ही जल का सच्चा स्रोत है, जहाँ से वह नदी-कूपादि को प्राप्त होता है। गौ ही अन्न का सच्च निधान है। किसी से कुछ मांगना विष है। जब अच्छा ब्राह्मण मिले, वही श्राद्ध का समय है। कहो यक्ष, तुम्हें ये उत्तर कैसे लगे? यक्ष ने कहा, ‘‘तुमने सब प्रश्नों की ठीक-ठीक व्याख्या की। अब पुरुष की व्याख्या करो और सब सम्पत्तियों का स्वामी कौन होता है, बताओ।’’ युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, ‘‘अच्छे कर्म का शब्द पृथ्वी को छूकर आकाश को छू लेता है। जितना उस पुण्य कर्म की ध्वनि का विस्तार होता है, उतना ही पुरुष का विस्तार समझो। जिसे प्रिय-अप्रिय, सुख–दुःख, भूत-भविष्य दोनों एक से हैं, ऐसा समदर्शी व्यक्ति सब धनों का स्वामी होता है।’’ प्रसन्न होकर यक्ष ने कहा, ‘‘अब तुम किसी एक भाई का जीवन मांग लो।’’ युधिष्ठिर ने औरों को छोड़कर नकुल का जीवन मांगा। यक्ष ने विस्मित होकर पूछा, ‘‘भीम और अर्जुन को छोड़कर नकुल का जीवन क्यों चाहते हो?’’ युधिष्ठिर ने कहा, ‘‘कुन्ती का एक पुत्र मैं जीवित हूँ। माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो जाय, जिससे मेरा दोनों माताओं को समान समझना चरितार्थ हो।’’ इस उत्तर से प्रसन्न होकर यक्ष ने सब भाइयों को जीवित कर दिया। अन्त में युधिष्ठिर के यह पूछने पर कि आप कौन हैं, आप यक्ष तो नहीं जान पड़ते, उसने कहा, ‘‘मैं धर्म हूँ। यश, सत्य, यम, शौच, ऋजुता, ह्री, अचापल्य, दान, तप और ब्रह्मचर्य, ये दस मेरे शरीर हैं। अहिंसा, समता, शान्ति, तप, शौच और अमत्सर ये मुझे प्राप्त करने के द्वार हैं। तुम्हें परखने के लिए मैं यहाँ आया था और मैं तुमसे प्रसन्न हुआ।’’ इस प्रकार वनवास में रहते हुए पाण्डवों के बारह वर्ष पूरे हुए। जिस प्रकार उन्होंने तेरहवां वर्ष अज्ञातवास में व्यतीत किया, उसकी कथा अगले विराटपर्व में चलेगी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्र.स. | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज