महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
25.द्रौपदी की व्यथा
तीर की चोट से व्याकुल हरिणी की भाँति आर्तनाद करती हुई द्रौपदी शोकातुर होकर अन्त:पुर में भाग चली। दु:शासन ने यहाँ भी उसका पीछा किया और उसे पकड़ लिया। फिर उसने द्रौपदी के गुंथे बाल बिखेर डाले, गहने तोड़-फोड़ दिये और अस्त-व्यस्त दशा में उसके बाल पकड़कर बलपूर्वक घसीटता हुआ सभा की ओर ले जाने लगा। धृतराष्ट्र के लड़के दु:शासन के साथ मिलकर भारी पाप कर्म करने पर उतारू हो गये! दु:खी द्रौपदी ने अपना असीम क्रोध पी लिया। सभा में पहुँचकर वह गंभीर स्वर में उपस्थित वृद्धों को लक्ष्य करके बोली- "मंजे हुए खिलाड़ी और धोखेबाज लोगों ने कुचक्र रचकर महाराज युधिष्ठिर को अपने जाल में फंसा लिया और उनसे मुझे दांव पर लगवा लिया। पर आप सब लोगों ने उसे मान कैसे लिया? जो खुद पहले ही अपने-आपको पराधीन कर चुका हो, जिसकी स्वतंत्रता छिन गई हो, वह अपनी पत्नी की बाजी कैसे लगा सकता है! यह कहाँ का न्याय है कि वह पराधीन हो गया तो उसकी स्त्री भी पराधीन समझी जाये? गुरुकुल के कई बुजुर्ग यहाँ है। आप लोगों के भी पत्नियां व बहू-बेटियां हैं। आप सब सत्य और न्याय को सामने रखकर मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए, मेरी आपत्ति का समाधान कीजिए।" इतना कहकर द्रौपदी विकल हो उठी। पांचालराज की कन्या का यों आर्तस्वर में पुकारते और अनाथिनी -सी विकल देखकर भीमसेन से चुप न रहा गया। वह कड़ककर बोला- "भाई साहब! गये गुजरे लोग भी, जुआ खेलना ही जिनका पेशा होता है, अपनी रखैल स्त्रियों तक की बाजी नहीं लगाते, किन्तु आप अंधे होकर द्रुपदराज की पुत्री को हार बैठे और धूर्तों के हाथों आपने उसका अपमान कराया और पीड़ा पहुँचाई! इस भारी अन्याय को मैं नहीं देख सकता। आप ही के कारण यह घोर पाप हुआ है। भाई सहदेव! कहीं से जलती हुई आग तो ले आ! जिन हाथों से युधिष्ठिर ने जुआ खेला है, उन्हीं को मैं जला डालूं।" भीमसेन को आपे से बाहर देखकर अर्जुन ने उसे रोका और धीरे से कहा- "भैया! सावधान! इससे पहले तुमने ऐसी बातें कभी नहीं कहीं। हमारे शत्रुओं के रचे कुचक्र ने हमारी भी बुद्धि फेर दी और हमको धर्म छोड़कर अधर्म की ओर ले गया। यदि हम इस जाल में फंस गये तो शत्रुओं का उद्देश्य पूरा हो जायेगा। इसलिए सावधान!" अर्जुन की बातों से भीमसेन शांत हो गया और उसने अपने को संभाल लिया और क्रोध पीकर रह गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज