महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
55.सुई की नोक जितनी भूमि भी नहीं
संजय को पांडवों के पास भेजने के बाद महाराज धृतराष्ट्र चिंता के मारे बड़े व्याकुल रहे। रात भर उन्हें नींद नहीं आई। उन्होंने विदुर को बुला भेजा और उनके आने पर उनके साथ ही बात करते हुए सारी रात बिताई। विदुर ने धृतराष्ट्र को समझाकर कहा- "राजन! पांडवों को राज्य वापस दे देना ही उचित होगा। दोनों पक्ष के लोगों की भलाई इसी में है। आपको चाहिए कि पांडवों के साथ वही व्यवहार करें जो अपने पुत्रों से करते रहे हैं। न्याय न केवल धर्म के बल्कि युक्ति के भी अनुकूल होता है।" विदुर इस प्रकार कई तरह से धृतराष्ट्र को उपदेश देते रहे। दूसरे दिन सवेरे संजय पांडवों के पास से हस्तिनापुर लौट आये। राजसभा में आकर उन्होंने युधिष्ठिर की सभा में जो चर्चा हुई थी, उसका सारा हाल कह सुनाया। और बोले- "खासकर दुर्योधन को चाहिए कि अर्जुन की बात ध्यान से सुने। अर्जुन ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि श्रीकृष्ण और मैं मिलकर दुर्योधन और उनके साथियों का नाश करके ही रहेंगे। मेरा गांडीव युद्ध के लिये लालायित हो रहा है। धनुष की डोरी आप-ही-आप टंकार कर उठती है। तरकश से बाण ऊपर झांककर पूछ रहे हैं- ‘कब? कब?’ मूर्ख दुर्योधन का विनाश काल निकट पहुँच चुका है। यही कारण है कि वह हमें युद्ध के लिये छेड़ रहा है। उसे पता नहीं है कि जो अर्जुन सारे देवताओं को पराजित करने की सामर्थ्य रखता है वह दुर्योधन की क्या गत बनायेगा, यही धनंजय को कहना था।" संजय के इस प्रकार कहने पर भीष्म ने दुर्योधन को दोबारा समझाकर कहा- "दुर्योधन! अर्जुन और श्रीकृष्ण को नर-नारायण का अवतार समझो। जब ये दोनों इकट्ठे होकर तुम्हारे विरुद्ध लड़ने लगेंगे तब तुम्हें इस बात की सच्चाई मालूम हो जायेगी।" दुर्योधन को समझाने के बाद भीष्म धृतराष्ट्र से बोले- "राजन! सूत पुत्र कर्ण बार-बार यही दम भर रहा है कि मैं पांडवों को खत्म कर डालूंगा। किंतु मैं कहता हूँ कि पांडवों की शक्ति का सोलहवां हिस्सा भी उसमें नहीं है। तुम्हारा पुत्र उसी के कहे में चलता है और अपने नाश का आप ही आयोजन कर रहा है। विराट नगर पर आक्रमण करते समय जब अर्जुन ने हमारा दर्प चूर कर दिया था, कर्ण वहीं तो था! वह वहाँ कुछ कर भी सका? गंधर्व जब दुर्योधन को कैद करके ले गये तब यह डपोरशंख कर्ण कहाँ छिप गया था? गंधर्वों को अर्जुन ने ही तो भगाया था और दुर्योधन उनसे मुक्त किया था।" |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज