महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
64.पहला दिन
अक्सर कौरवों की सेना के अग्रभाग पर दु:शासन ही रहा करता था और पांडवों की सेना के आगे भीमसेन। वीरों के गर्जन, शंखों के बजने की तुमुल ध्वनि, विविध बाजों का शब्द, भेरियों का भैरवनिनाद, घोड़ों का हिनहिनाना, हाथियों का चिंघाड़ना आदि सभी शब्दों ने मिलकर आकाश को गुंजा दिया था। बाणों को 'सांय-सांय' करते जाते देख ऐसा प्रतीत होता था मानो आकाश से तारे टूट रहे हों। बाप ने बेटे को मारा। बेटे ने पिता के प्राण लिये। भानजे ने मामा का वध किया। मामा ने भानजे का काम तमाम किया। युद्ध का यह दृश्य था। पहले दिन की लड़ाई में भीष्म ने पांडवों पर ऐसा हमला किया कि पांडव-सेना थर्रा उठी। पितामह का रथ जिधर चला, उधर ही कालदेव का भयंकर नृत्य-सा होने लगा। सुभद्रा-पुत्र अभिमन्यु यह देखकर क्रोध में आ गया और उसने वृद्ध पितामह का बढ़ना रोका। दोनों पक्ष के वीरों में से सबसे छोटे बालक अभिमन्यु को, सबसे वयोवृद्ध धनुर्धारी भीष्म से भिड़ते देखकर देवता लोग भी मुग्ध हो गये। अभिमन्यु का रथ आगे बढा। उसकी ध्वजा पर सोने का कर्णिकार वृक्ष चित्रित था। अभिमन्यु ने कृतवर्मा पर एक बाण चलाया, शल्य पर पांच और भीष्म पर नौ बाण मारे। एक और बाण से दुर्मुख के सारथी का सिर धड़ से अलग गिरा दिया। दूसरे बाण से कृपाचार्य के धनुष को नष्ट कर दिया। अभिमन्यु की यह युद्ध-कुशलता देखकर देवताओं ने फूल बरसाये। भीष्म और उनके अनुगामी वीरों ने सुभद्रा-पुत्र की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि यह तो पिता के समान वीर है। इसके बाद कौरव-वीरों ने अभिमन्यु को चारों ओर से घेर लिया और एक साथ उस पर बाणों की बौछार कर दी। किंतु अभिमन्यु इससे तनिक भी विचलित नहीं हुआ। भीष्म ने जितने बाण मारे उन सबको अभिमन्यु ने अपने बाणों से काटकर उड़ा दिया। एक बाण उसने ऐसा निशाना तानकर मारा कि जिससे भीष्म के रथ की ध्वजा कट गई। भीष्म के रथ की ध्वजा कटी देखकर भीमसेन का दिल बांसों उछल पड़ा और वह सिंह की भाँति दहाड़ उठा। काका की गरज सुनकर भतीजे का मन और दुगुना बढ़ गया। सुकुमार बालक की इस अद्भुत रण-कुशलता को देखकर पितामह का मन भी अभिमान एवं आनंद से फूल उठा। उनको खेद हुआ कि मुझ बूढे को अपनी सारी शक्ति लगाकर अपने पोते से लड़ना पड़ रहा है। यह सोचकर वह बड़े व्यथित हुए। फिर भी अपना कर्तव्य समझकर बालक पर बाणों की बौछार करने लगे। यह देखकर विराट, उत्तर, धृष्टद्युम्न, भीमसेन आदि पांडव -पक्ष के वीरों ने आकर चारों ओर से अभिमन्यु को घेरकर अपने बीच में ले लिया और सबने भीष्म पर जोरों का हमला कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि भीष्म को अभिमन्यु की तरफ से ध्यान हटाकर इन लोगों से अपना बचाव करना पड़ गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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