विषय सूची 1 गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार 1.1 अध्यायानुक्रम से गीतान्तर्गत व्यक्तियों द्वारा कथित श्लोक-संख्या 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार अध्यायानुक्रम से गीतान्तर्गत व्यक्तियों द्वारा कथित श्लोक-संख्या अध्याय धृतराष्ट्र संजय अर्जुन श्रीभगवान् पूर्ण संख्या 1 1 25 21 0 47 2 0 3 6 63 72 3 0 0 3 40 43 4 0 0 1 41 42 5 0 0 1 28 29 6 0 0 4 42 47 7 0 0 0 30 30 8 0 2 2 26 28 9 0 0 0 34 34 10 0 0 7 35 42 11 0 8 33 14 55 12 0 0 1 19 20 13 0 0 0 34 34 14 0 0 1 26 27 15 0 0 0 20 20 16 0 0 0 24 24 17 0 0 1 27 28 18 0 5 2 71 78 1 41 84 574 700 टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार क्रमांक प्रकरण पृष्ठ संख्या 1. मातर्गीते 1 2. श्रीमद् भगवद्गीता-मूल एवं संक्षिप्त हिन्दी-टीका 4 3. श्रीमद् भगवद्गीता की आरती 228 भक्तियोग 4. गीता में भक्ति योग 229 5. पुरुषोत्तम-तत्व 243 6. गीता का पर्यवसान साकार ईश्वर की शरणागति में है 252 7. सर्वधर्मान् परित्यज्य 258 8. गीतोक्त समग्र ब्रह्म या पुरुषोत्तम 267 9. गीता में विश्व रूप-दर्शन 282 10. गीता और साधना 293 11. सकाम भक्तों और योगक्षेम की व्यवस्था 323 12. श्रीमद्भगवद्गीतानुसारभगवत्प्राप्ति के उपाय 331 13. विषय-चिन्तन ही पतन का कारण है 334 14. ब्रह्मज्ञान, पराभक्ति, भगवान् की लीला 335 15. शरणागति का स्वरूप और शाश्वती शान्ति 337 16. ज्ञान और भक्ति 341 17. अहंकार ही दुःख कारण है 344 18. भगवद्भक्ति और दैवी सम्पत्ति 345 19. त्याग से शान्ति मिलती ही है 346 20. भगवच्चिन्तन में ही सुख है 348 21. गीता में भगवत्स्मरण 351 22. अपि चेत्सुदुराचारो 353 23. गीता के अनुसार भगवद्भजन 355 24. श्रीकृष्ण ही पुरुषोत्तम-तत्व हैं 358 25. मृत्युः सर्वहरश्चाहम् 359 26. भगवान् परम सुहृद् 360 27. श्रीमद्भागवद्गीता के अनुसार भक्त कौन है 362 कर्मयोग 28. गीतोक्त कर्मयोग और आधुनिक कर्मवाद 365 29. धर्मयुद्ध-भगवत्प्राप्ति का साधन 380 30. निष्काम कर्म 394 31. निष्काम भाव क्यों नहीं होता? 398 32. निष्कामता का स्वरूप 400 33. निष्काम कर्म का स्वरूप 401 34. आसक्ति और कामना ही बन्धन 403 35. प्रसन्नता-प्राप्ति का उपाय 405 ज्ञानयोग 36. पाँच प्रश्न 406 37. प्रकृति की लीला के द्रष्टा बनिये 415 38. जगत् का स्वरूप और ब्रह्मज्ञानी के व्यवहार 416 39. जीवन्मुक्त के द्वारा वस्तुतः कर्म नहीं होते 418 40. काम-क्रोधादि स्वभाव नहीं, विकार हैं 420 41. मन, बुद्धि आदि के स्वरूप 422 42. आत्मा नहीं मरता, जीव ही जन्मता-मरता दीखता है 424 43. श्रीमद् भगवद्गीता में ज्ञान के बीस साधन 426 44. भगवद्गीता के अनुसार गुणातीत या ज्ञानी के चैदह लक्षण 427 विविध 45. गीता के अर्थ के लिये आग्रह मत करो 428 46. गीता के विभिन्न अर्थों की सार्थकता 431 47. गीता और श्रीभगवन्नाम 440 48. गीता और वैराग्य 443 49. वैराग्य और अभ्यास 446 50. श्रीमद्भगवद्गीता में मानव का त्रिविध स्वरूप और साधन 448 51. गीता में भगवान् के स्वरूप, परलोक-पुनर्जन्म तथा भगवत्प्राप्ति का वर्णन 541 52. भोगवाद और आत्मवाद 481 53. गीतोक्त सांख्य योग एवं कर्मयोग 491 54. या निशा सर्वभूतानाम् 496 55. योग का अर्थ 500 56. मनुष्य के दो बड़े शत्रु-राग और द्वेष 504 57. शान्ति-सुख की प्राप्ति के साधन 506 58. विषय चिन्तन से सर्वनाश और भगवच्चिन्तन से परम शान्ति 508 59. त्याग से शान्ति- 511 60. अध्यात्मविद्या 513 61. ज्ञान और प्रेम 515 62. पापों के नाश का उपाय 519 63. कर्म फल का भोग 522 64. पाप कामना से होते हैं- प्रकृति से नहीं 523 65. भोग-वैराग्य और बुद्धियोग-बुद्धिवाद 528 66. आध्यात्मिक शक्ति ही जगत् को विनाश से बचा सकती है 530 67. असुर-मानव 533 68. गीता सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 535 69. जाति में जन्म की प्रधानता है 540 70. कल्याण और गीता 545 71. दैवी सम्पत्ति के गुण 546 72. स्थित प्रज्ञ या जीवन्मुक्त पुरुष के लक्षण 548 73. आसुरी सम्पत्ति के लक्षण 549 74. गीतोक्त चौदह यज्ञ 552 75. गुणों का स्वरूप और उनका फल आदि 553 76. गुणों के अनुसार आहार-यज्ञादि के लक्षण 554 77. अध्यायानुक्रम से गीतान्तर्गत व्यक्तियों द्वारा कथित श्लोक-संख्या 555 78. गीता के श्लोकों का छनद-विवरण 556 79. ज्ञान-वैराग्य-भक्तिगीता के दो प्रधान पात्र 557 80. श्रीमद्भगवद् गीता के विविध प्रसंग 575 अंतिम पृष्ठ 601 वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः