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गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
भगवान् परम सुहृद्
याद रखो-भगवान् सर्वशक्तिमान् हैं, सर्वज्ञ हैं और तुम्हारे परम सुहृद् हैं। उनमें विश्वास करो, उनकी कृपा तुम्हें निश्चय ही समस्त बन्धनों, समस्त विपत्तियों और समस्त कठिनाइयों से उबार लेगी। उनके इन गीता के वचनों पर विश्वास करो-‘कोई कैसा भी पापी हो मेरे शरण आने पर मैं तुरंत उसके पापों को धोकर उसे साधु और भक्त बना लेता हूँ, फिर उसे सनातन शान्ति मिल जाती है, मेरे उस भक्त का कभी पतन नहीं होता। मुझमें मन लगा दो, फिर मेरी कृपा तुम्हें सारे संकटों से अनायास ही तार देगी।’ याद रखो-संकट या विपत्ति का निवारण करने के लिये बाहरी निर्दोष उपाय करना न तो बुरा है, न पाप है। पर यह निश्चय नहीं है कि उससे तुम्हारी विपत्ति का नाश हो ही जायगा; क्यों कि उसमें अत्यन्त सीमित तथा क्षुद्र शक्ति है। भगवान् महान् शक्ति के अनन्त भण्डार हैं, उनके शरण होकर यदि तुम केवल उन्हीं पर पूर्णरूप से निर्भर करोगे तो भगवान् की वह महान् शक्ति तुम्हारी सहायता करने लगेगी। जब तुम सहज ही अपरिसीम महान् शक्ति की सहायता प्राप्त कर सकते हो, तब असीम क्षुद्र शक्ति के पीछे पड़कर क्यों अपना समय नष्ट करते हो? याद रखो-तुम्हारी विपत्तियाँ चाहे जितनी बड़ी हों, अन्धकार चाहे जितना गहरा हो, दुःख चाहे जितने भयानक हों, बन्धन चाहे जितना कठिन हो, भगवान् को कृपाशक्ति का आश्रय-पूर्ण आश्रय लेने पर तुम अपने को इन सबसे मुक्त आनन्द-निकेतन में विश्राम करते पाओगे। याद रखो-जब कभी परिस्थिति प्रतिकूल हो, अनुकूलता के सारे साधन नष्ट-भ्रष्ट हो रहे हों, चारों आरे केवल निराशा और घोर अन्धकार दिखायी देता हो, अशान्ति की बड़ी भयानक आँधी आ रही हो-तुम उस समय तुरंत दयामय प्रभु के दरबार में पहुँच जाओ, क्षणभर के लिये भी वहाँ से न हटो, न उतरो। केवल भगवान् पर ही दृष्टि लगाये उनका अनन्य चिन्तन करते रहो। ऐसा दृढ़ विश्वास करो कि ‘भगवान् असम्भव को सम्भव कर सकते हैं। मेरी प्रतिकूल स्थिति को बदलना उनके लिये कुछ भी कठिन नहीं है। मैं उनकी कृपा पर निर्भर हूँ। वे मेरा परम कल्याण निश्चय ही करेंगे।’ तुम थोड़े ही समय में देखोगे-आकाश स्वच्छ हो गया है। सारी आँधी चली गयी है और अनुकूलता के सारे साधन सुन्दरता से जुट रहे हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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