विषय सूची
गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीमद्भगवद्गीतानुसारभगवत्प्राप्ति के उपाय
याद रखो- भगवान् की गुणमयी माया बड़ी ही दुस्तर है, उससे तर जाना बड़ा ही कठिन है; परन्तु भगवान् के ही शरण होकर उनका भजन करने पर माया से सहज ही तरा जा सकता है। भगवान् ने कहा है- [1] याद रखो- भगवान् की प्राप्ति बड़ी कठिन है, पर भगवान् में मन-बुद्धि लगा कर जो सदा- सर्वदा भगवान् का स्मरण करता है, अन्त काल में उसको भगवान् की ही स्मृति होती है और वह निसःदेह भगवान को ही प्राप्त होता है। भगवान् ने कहा है- याद रखो- भगवान् का प्राप्त होना बहुत ही दुर्लभ है, पर जो मन को अनन्य करके नित्य-निरन्तर भगवान् का स्मरण करता है उस नित्य युक्त भक्त को भगवान् सुलभता से मिल जाते हैं। भगवान् ने कहा है- याद रखो- साधन की रक्षा (आवश्यक प्राप्त वस्तु की रक्षा) और साध्या की प्राप्ति (जिसका प्राप्त करना हमारे लिये अनिवार्य है)-को ‘योगक्षेम’ कहते हैं। इस ‘योगक्षेम’ का भार मनुष्य उठाना चाहता है; पर वह असफल होता है; किन्तु वह यदि भगवान् का अनन्य चिन्तन करते हुए भगवान् की उपासना करे तो उसके ‘योगक्षेम’ का सार भार स्वयं भगवान् वहन करते हैं। भगवान् ने कहा है |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | प्रकरण | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज