1.जो किसी भी जीव से द्वेष नहीं करता।
2.जो सबके साथ मित्रता का व्यवहार करता है।
3.जो बिना भेद-भाव से दुःखी जीवों पर सदा दया करता है।
4.जो परमात्मा के सिवा किसी भी वस्तु में ‘मेरापन’ नहीं रखता।
5.जो ‘मैंपन’ को त्याग देता है।
6.जो सुख-दुःख दोनों में परमात्मा को ही समान भाव से देखता है।
7.जो अपना बुरा करने वाले के लिये भी परमात्मा से भला चाहता है।
8.जो लाभ-हानि, जय-पराजय, सफलता-असफलता में सदा सन्तुष्ट रहता है।
9.जो अपने मन को परमात्मा में लगाये रहता है।
10.जो अपने मन और इन्द्रिय को जीते हुए है।
11.जो परमात्मा में दृढ़ निश्चय रखता है।
12.जो अपने मन और बुद्धि को परमात्मा के अर्पण कर देता है।
13.जो किसी के भी उद्वेग का कारण नहीं बनता।
14.जो किसी से भी उद्वेग को प्राप्त नहीं होता।
15.जो सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति में कोई आन्नद नहीं मानता।