भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
खण्ड : 1
महाभारत उस प्रकार का इतिहास-ग्रन्थ कदापि नहीं, जिसमें ऐतिहासिक घटनाओं के तिथिक्रम और आंकड़ों को इकट्ठा कर ठेठ इतिहास लिखा गया हो। उस प्रकार का नीरस ग्रन्थ, यदि वह कभी लिखा गया होता तो क्या 3,000 से भी अधिक वर्षों तक जीवित रह सकता था? कौन नहीं जानता कि इतिहास के पण्डितों द्वारा कड़े परिश्रम से रचे गए सैकड़ों पोथे लोकजीवन में अपना प्रभाव खोकर पुस्तकालयों की धूल चाटते हैं? कौन उन्हें दुबारा पढ़ने का कष्ट करता होगा? महाभारत उस प्रकार की ठूंठ पद्धति से रचा हुआ इतिहास न कभी था और न उसे ऐसा कभी समझना चाहिए। यह तो एक भावनात्मक रचना हैः
यह काव्य महान कलाकार की अद्भुत सर्जना है।
अवश्य ही यह श्लोक पंचरात्र भागवतों द्वारा ग्रन्थ-संस्कार का परिणाम है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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