रामहृद सरोवर पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुसार समंतपंचक नामक स्थान के निकट स्थित एक सरोवर है, जो 'द्वैपायन हृद' भी कहलाता है।
- रामहृद सरोवर, जहाँ नारायण आश्रम का स्थान माना जाता है। वर्तमान थानेश्वर के उत्तर की ओर आज भी 'रामहृद' नाम का सरोवर है, जो ‘द्वैपायन हृद’ भी कहलाता है।
- यह लगभग 2,400 हाथ लम्बा और 1,200 हाथ चौड़ा है।
- कुरुक्षेत्र के तीर्थों में यह सरोवर अत्यधिक पवित्र है।
- इसी स्थान पर कुरु ने तपस्या की थी, जिसके कारण आसपास की भूमि कुरुक्षेत्र कहलाई।
- इसका वैदिक नाम शर्यणावन्त था।
- इसे 'ब्राह्मसर' भी कहते थे, क्योंकि ब्रह्मा के आदि-यज्ञ की वेदी इसी के तट पर निर्मित हुई थी।
- कुछ समय पश्चात इसकी संज्ञा रामहृद प्रसिद्ध हुई, क्योंकि परशुराम ने क्षत्रियों को जीतकर इसी सरोवर के जल से अपने पितरों का तर्पण किया।