महेन्द्र | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- महेन्द्र (बहुविकल्पी) |
महेन्द्र पर्वत का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत सभापर्व[1] में इस पर्वत का अन्य कई पर्वतों के साथ उल्लेख मिलता है।
- महाभारत सभापर्व के उल्लेखानुसार महेन्द्र, गन्धमादन एवं धर्मनिष्ठ राक्षसराज विभीषण, यक्षों, गंधर्वों तथा सम्पूर्ण निशाचरों के साथ अपने भाई भगवान कुबेर की उपासना करते हैं।
- हिमवान, पारियात्र, विन्ध्य, कैलास, मन्दराचल, मलय, दर्दुर, महेन्द्र, गन्धमादन और इन्द्रकील तथा सुनाभ नाम वाले दोनों दिव्य पर्वत-ये तथा अन्य सब मेरु आदि बहुत-से पर्वत धन के स्वामी महामना प्रभु कुबेर की उपासना करते हैं।
- महेन्द्र पर्वत वर्तमान उड़ीसा से लेकर मद्रास के मदुरा ज़िले तक फैला हुआ है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 85 |
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