पिण्डारक | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पिण्डारक (बहुविकल्पी) |
पिण्डारक हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों और महाभारत की मान्यताओं के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ का नाम है, जो गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र तट से एक कोस की दूरी पर द्वारका के निकट है।
- माना जाता है कि यहाँ स्नान करने से आधिकाधिक सुवंर्ण की प्राप्ति होती है।[1]
- यह तीर्थ तपस्वियों द्वारा सेवित और मगलरूप कहा गया है। जो मनुष्य पिण्डारक तीर्थ में स्नान कर वहाँ कई रात्रि निवास करता है, वह प्रात:काल में पवित्र हो 'अग्निष्टोम' का फल प्राप्त कर लेता है।[2]
- यहाँ 'पांडुकूप तीर्थ' भी है, जहाँ श्राद्धा का महाफल कहा गया है।[3][4]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत वनपर्व 72.65
- ↑ अनुशासनपर्व 25.57
- ↑ ब्रह्मांपुराण 3.13.37 भागवतपुराण 10.90.28 (3) और 11.1.11
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 305 |