सीतवन का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व के अनुसार यह कुरुक्षेत्र की सीमा के अन्तर्गत एक वन था, जो महान तीर्थरूप था।
- एक बार वहाँ जाने या उसका दर्शन करने मात्र से वह तीर्थ मनुष्य को पुनीत कर देता था।
- सीतवन में केशों को धो लेने मात्र से मनुष्य निष्पाप हो जाता था।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 521 |
- ↑ महाभारत वन पर्व 83.59-60