गौरीशिखर हिमालय पर्वत का एक शिखर है, जिसका उल्लेख महाभारत, वनपर्व के अंतर्गत पांडवों की तीर्थयात्रा प्रसंग में हुआ है-
'ततो गच्छेत धर्मज्ञ: तीर्थसेवनतत्पर: शिखरं वै महादेव्या गौर्या स्त्रैलोक्यविश्रुतम्।"[1]
- इसका उल्लेख हिमालय पर स्थित 'पितामह सर'[2] के पश्चात् है। गौरीशिखर को उपरोक्त उल्लेख में महादेव-पार्वती के नाम से प्रसिद्ध बताया गया है।
- महाभारत वनपर्व के अनुसार इस शिखर पर[3] 'स्तनकुंड' नामक सरोवर का भी उल्लेख है-
'समासाद्य नरश्रेष्ठ स्तनकुंडेषु संविशेत्।'
- गौरीशिखर प्रसिद्ध गौरीशंकर की चोटी जान पड़ती है।[4]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत, वनपर्व 84, 151.
- ↑ शायद मानसरोवर; यहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी निकलती है। पितापह=ब्रह्मा
- ↑ महाभारत, वनपर्व 84, 151
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ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 310 |
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