वराह | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- वराह (बहुविकल्पी) |
वराह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत सभा पर्व के अनुसार यह गिरिव्रज राजगृह के पांच पर्वतों में से एक था।
- महाभारत सभा पर्व के उल्लेखानुसार यह विहारोपयोगी विपुल, वराह, वृर्षभ (ऋषभ), ऋषिगिरि (मातंग) तथा पाँचवाँ चैत्यक नाम पर्वत है। बड़े-बड़े़ शिखर वाले ये पाँचों सुन्दर पर्वत शीतल छाया वाले वृक्षों से सुशोभित हैं और एक साथ मिलकर एक-दूसरे के शरीर का स्पर्श करते हुए मानो गिरिव्रज नगर की रक्षा कर रहे हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 94 |