श्रृंगवान (पर्वत)

Disamb2.jpg श्रृंगवान एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- श्रृंगवान (बहुविकल्पी)

श्रृंगवान का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, जिसके अनुसार यह एक पर्वत था।

'महाभारत सभा पर्व' में अर्जुन की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में उनका हिरण्यक वर्ष को जीतकर श्रृंगवान पर्वत पर जाने का उल्लेख मिलता है। हिरण्यक वर्ष की विशाल सड़कों पर जब अर्जुन चलते थे, उस समय प्रासादशिखरों पर खड़ी हुईं वहाँ की सुन्दर स्त्रियाँ उनका दर्शन करती थीं। वहाँ के सभी निवासी बड़ी प्रसन्नता के साथ कौतूहलवश उन्हें देखते और उनके निकट रत्नों तथा आभूषणों की वर्षा करते थे। उन सबको जीतकर तथा उनके ऊपर कर लगाकर वहाँ से मणि, सुवर्ण, मूँगे, रत्न तथा आभूषण लेकर अर्जुन श्रृंगवान पर्वत पर चले गये। वहाँ से आगे बढ़कर पाकशासनपुत्र पांडव अर्जुन ने उत्तर कुरुवर्ष में पहुँचकर उस देश को जीतने का विचार किया।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत सभा पर्व अध्याय 28 भाग 5

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 108 |

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