विरज तीर्थ का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह जयपुर[1] के चारों ओर 10 मील तक विस्तृत स्थान था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 98 |
- ↑ उड़ीसा में वैतरणी के किनारे