नन्दनन्दन -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
38. दाऊ-वृक्रोपद्रव
'अपने और भी सखा हैं आर्य!' यह भी कोई कहने की बात है। अभी तो कृष्ण का अन्तरंग मण्डल ही अपूर्ण है। उसी के मुख्य दो हमारे साथ नहीं आये। कन्हाई अपनों से कब तक दूर रह सकता है। 'ये गोप बहुत वर्षों से यहाँ बसे हैं। इस स्थान का मोह सरलता से नहीं छोड़ पावेंगे!' यही बात मुझे कृष्ण की मान्य नहीं है। कोई गोप, कोई गोपी कुछ प्रहर भी कन्हाई को छोड़कर रहने की कल्पना नहीं कर सकता। इसे चलना है तो यह कहकर देख ले, सब अपना सर्वस्व-गोधन तक त्यागकर तत्काल चल देंगे यदि यह ऐसा आग्रह करेगा और मुख मोड़कर भी पीछे नहीं देखेंगे। यह जिनके सम्मुख आ गया एक क्षण को भी, उनके मानस को मोह की छाया स्पर्श करने में समर्थ कैसे हो सकती है। 'आर्य! आपके श्रीचरण यहाँ पड़े! आपने अपनी क्रीड़ा से इस पृथ्वी को पावन किया।' मैं देखने लगा कि मेरा कन्हाई कहना क्या चाहता है? यह कहता गया- 'मैं इस गोकुल को, महावन को ऐसे ही असुरक्षित कैसे छोड़ सकता हूँ कि कंस के क्रूर राक्षस यहाँ अपना आवास बनायें अथवा इस पर अधिकार करके यहाँ विचरण करें। मैं इसे उनके लिए अतिशय भयप्रद बना दूँगा!' सहसा श्रीकृष्ण के रोम-रोम से भेड़िये प्रकट होने लगे। किञ्चित अरुणाभ भूरे रंग के काले मुख वाले भयंकर भेड़िये! वे दस-पाँच नहीं प्रकट हुए। शतश:, सहस्त्रश: प्रकट हुए और बड़े-बडे़ यूथों में विभक्त होकर सीधे वन की ओर भागे। दस, बीस, पच्चीस, सौ तक के उनके यूथ बने और वे हमारे नेत्रों के सम्मुख से दूर-दूर भागते चले गये। मुझे हँसी आ गयी। ये श्रीकृष्णांग समुद्भव वृक- इसका विशाल परिपुष्ट शरीर! कल-परसों कोई मथुरा की ओर से आया था तो कहीं से सुन आया था- 'कंस ने अपने किसी सेनानायक राक्षस को सेना के साथ नन्दनन्दन को बन्दी बना लाने के लिए नियुक्त किया है।' मैं उस पर अपनी मुष्टि का बल देखना चाहता था, परन्तु अब वह इन सुरासुर-अजेय असंख्य वृकों के यूथों में प्रवेश भी पा सकेगा? गायों, बछड़ों, बालकों के लिए कोई भय नहीं है। ये वृक उनके सम्मुख भी नहीं आवेंगे; किंतु यह मेरा नटखट अजुन गोपों को आतंकित करके यहाँ से प्रस्थान की शीघ्रता करना चाहता है, यह स्पष्ट हो गया। अब तो मैया आते ही इन वृकों के पद-चिह्न देखते ही चौंकेगी। सखाओं के साथ इन तरुओं पर क्रीड़ा अब समाप्त होने वाली है, इसीलिए तो इनके पत्र शीर्ण होने लगे हैं। |
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज