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| [[पाण्डवों का लाक्षागृह से सुरक्षित निकलना]]
 
 
| [[विदुर के भेजे हुए नाविक का पाण्डवों को गंगा के पार उतरना]]
 
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| [[हस्तिनापुर में पाण्डवों के लिए शोक-प्रकाश]]
 
| [[हस्तिनापुर में पाण्डवों के लिए शोक-प्रकाश]]

15:09, 18 जनवरी 2017 का अवतरण

महाभारत आदिपर्व में उल्लेखित कथाएँ


पर्वसंग्रह पर्व
समन्तपंचक क्षेत्र | अक्षोहिणी सेना | महाभारत में वर्णित पर्व
पौष्य पर्व
जनमेजय को सरमा का शाप | जनमेजय द्वारा सोमश्रवा का पुरोहित पद | आरुणी, उपमन्यु, वेद और उत्तंक की गुरुभक्ति | उत्तंक का सर्पयज्ञ
पौलोम पर्व
महर्षि च्यवन का जन्म | भृगु द्वारा अग्निदेव को शाप | अग्निदेव का अदृश्य होना | प्रमद्वरा का जन्म | प्रमद्वरा की सर्प के काटने से मृत्यु | प्रमद्वरा और रुरु का विवाह | रुरु-डुण्डुभ संवाद | डुण्डुभ की आत्मकथा | जनमेजय के सर्पसत्र के विषय में रुरु की जिज्ञासा
आस्तीक पर्व
पितरों के अनुरोध से जरत्कारु की विवाह स्वीकृति ‎ | जरत्कारू द्वारा वासुकि की बहिन का पाणिग्रहण | आस्तीक का जन्म | कद्रु-विनता को पुत्र प्राप्ति | मेरु पर्वत पर भगवान नारायण का समुद्र-मंथन के लिए आदेश | भगवान नारायण का मोहिनी रूप | देवासुर संग्राम | कद्रु और विनता की होड़ | कद्रु द्वारा अपने पुत्रों को शाप | नाग और उच्चैश्रवा | विनता का कद्रु की दासी होना | गरुड़ की उत्पत्ति | गरुड़ द्वारा अपने तेज और शरीर का संकोच | कद्रु द्वारा इंद्रदेव की स्तुति | गरुड़ का दास्यभाव | गरुड़ का अमृत के लिए जाना और निषादों का भक्षण | कश्यप का गरुड़ को पूर्व जन्म की कथा सुनाना | गरुड़ का कश्यप जी से मिलना | इन्द्र द्वारा वालखिल्यों का अपमान | अरुण-गरुड़ की उत्पत्ति | गरुड़ का देवताओं से युद्ध | गरुड़ का विष्णु से वर पाना | इन्द्र और गरुड़ की मित्रता | इन्द्र द्वारा अमृत अपहरण | शेषनाग की तपस्या | जरत्कारु का जरत्कारु मुनि के साथ विवाह | जरत्कारु की तपस्या | परीक्षित का उपाख्यान | श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को शाप | तक्षक नाग और कश्यप | जनमेजय का राज्यभिषेक और विवाह | जरत्कारु को पितरों के दर्शन | जरत्कारु का शर्त के साथ विवाह | जरत्कारु मुनि का नाग कन्या के साथ विवाह | परीक्षित के धर्ममय आचार | परीक्षित द्वारा शमीक मुनि का तिरस्कार | श्रृंगी ऋषि का परिक्षित को शाप | जनमेजय की प्रतिज्ञा | जनमेजय के सर्पयज्ञ का उपक्रम | सर्पयज्ञ के ऋत्विजों की नामावली | तक्षक का इंद्र की शरण में जाना | आस्तीक का सर्पयज्ञ में जाना | आस्तीक द्वारा यजमान, यज्ञ, ऋत्विज, अग्निदेव आदि की स्तुति | सर्पयज्ञ में दग्ध हुए सर्पों के नाम | आस्तीक का सर्पों से वर प्राप्त करना
अंशावतरण पर्व
महाभारत का उपक्रम | जनमेजय के यज्ञ में व्यास का आगमन | व्यास का वैशम्पायन से महाभारत कथा सुनाने की कहना | कौरव-पाण्डवों में फूट और युद्ध होने का वृत्तांत | महाभारत की महत्ता | उपरिचर का चरित्र | सत्यवती, व्यास की संक्षिप्त जन्म कथा | ब्राह्मणों द्वारा क्षत्रिय वंश की उत्पत्ति एवं वृद्धि | असुरों का जन्म और पृथ्वी का ब्रह्माजी की शरण में जाना | ब्रह्माजी का देवताओं को पृथ्वी पर जन्म लेने का आदेश
सम्भव पर्व
मरिचि आदि महर्षियों तथा अदिति आदि दक्ष कन्याओं के वंश का विवरण | महर्षियों तथा कश्यप-पत्नियों की संतान परंपरा का वर्णन | देवता और दैत्यों के अंशावतारों का दिग्दर्शन | दुष्यंत की राज्य-शासन क्षमता का वर्णन | दुष्यंत का शिकार के लिए वन में जाना | दुष्यंत का हिंसक वन-जन्तुओं का वध करना | तपोवन और कण्व के आश्रम का वर्णन | दुष्यंत का कण्व के आश्रम में प्रवेश | दुष्यंत-शकुन्तला वार्तालाप | शकुन्तला द्वारा अपने जन्म का कारण बताना | विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र द्वारा मेनका को भेजना | मेनका-विश्वामित्र का मिलन | कण्व द्वारा शकुन्तला का पालन-पोषण | शकुन्तला और दुष्यंत का गन्धर्व विवाह | कण्व द्वारा शकुन्तला विवाह का अनुमोदन | शकुन्तला को अद्भुत शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति | पुत्र सहित शकुन्तला का दुष्यंत के पास जाना | आकाशवाणी द्वारा शकुन्तला की शुद्धि का समर्थन | भरत का राज्याभिषेक | दक्ष, वैवस्वत मनु तथा उनके पुत्रों की उत्पत्ति | पुरुरवा, नहुष और ययाति के चरित्रों का वर्णन | कच का शुक्राचार्य-देवयानी की सेवा में सलंग्न होना | देवयानी का कच से पाणिग्रहण के लिए अनुरोध | देवयानी-शर्मिष्ठा का कलह | शर्मिष्ठा द्वारा कुएँ में गिरायी गयी देवयानी को ययाति का निकालना | देवयानी शुक्राचार्य से वार्तालाप | शुक्राचार्य द्वारा देवयानी को समझाना | शुक्राचार्य का वृषपर्वा को फटकारना | शर्मिष्ठा का दासी बनकर शुक्राचार्य-देवयानी को संतुष्ट करना | सखियों सहित देवयानी और शर्मिष्ठा का वन-विहार | ययाति और देवयानी का विवाह | ययाति से देवयानी को पुत्र प्राप्ति | ययाति-शर्मिष्ठा का एकान्त मिलन | देवयानी-शर्मिष्ठा संवाद | शुक्राचार्य का ययाति को शाप देना | ययाति का अपने पुत्रों से आग्रह | ययाति का अपने पुत्रों को शाप देना | ययाति का अपने पुत्र पुरु की युवावस्था लेना | ययाति का विषय सेवन एवं वैराग्य | ययाति द्वारा पुरु का राज्याभिषेक करके वन में जाना | ययाति की तपस्या | ययाति द्वारा पुरु के उपदेश की चर्चा करना | ययाति का स्वर्ग से पतन | ययाति और अष्टक का संवाद | अष्टक और ययाति का संवाद | ययाति और अष्टक का आश्रम-धर्म संबंधी संवाद | ययाति द्वारा दूसरों के पुण्यदान को अस्वीकार करना | ययाति का वसुमान और शिबि के प्रतिग्रह को अस्वीकार करना | ययाति का अष्टक के साथ स्वर्ग में जाना | पुरुवंश का वर्णन | पुरुवंश, भरतवंश एवं पाण्डुवंश की परम्परा का वर्णन | महाभिष को ब्रह्माजी का शाप | शापग्रस्त वसुओं के साथ गंगा की बातचीत | प्रतीक का गंगा को पुत्र वधू के रूप में स्वीकार करना | शान्तनु का जन्म एवं राज्याभिषेक | शान्तनु और गंगा का शर्तों के साथ विवाह | वसुओं का जन्म एवं शाप से उद्धार | भीष्म का जन्म | वसिष्ठ द्वारा वसुओं को शाप प्राप्त होने की कथा | शान्तनु के रूप, गुण और सदाचार की प्रशंसा | गंगाजी को सुशिक्षित पुत्र की प्राप्ति | देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा | सत्यवती के गर्भ से चित्रांगद, विचित्रवीर्य की उत्पत्ति | शान्तनु और चित्रांगद का निधन | विचित्रवीर्य का राज्याभिषेक | भीष्म द्वारा काशीराज की कन्याओं का हरण | भीष्म द्वारा सब राजाओं एवं शाल्व की पराजय | अम्बिका, अम्बालिका के साथ विचित्रवीर्य का विवाह | विचित्रवीर्य का निधन | सत्यवती का भीष्म से राज्य-ग्रहण का आग्रह | भीष्म की सम्मति से सत्यवती द्वारा व्यास का आवाहन | सत्यवती की आज्ञा से व्यास को अम्बिका, अम्बालिका के गर्भ में संतानोत्पादन की स्वीकृति | व्यास द्वारा विचित्रवीर्य के क्षेत्र से धृतराष्ट्र, पाण्डु, विदुर की उत्पत्ति | महर्षि माण्डव्य का शूली पर चढ़ाया जाना | माण्डव्य का धर्मराज को शाप देना | कुरुदेश की सर्वागीण उन्नति का दिग्दर्शन | धृतराष्ट्र का विवाह | कुन्ती को दुर्वासा से मंत्र की प्राप्ति | कुन्ती द्वारा सूर्यदेव का आवाहन एवं कर्ण का जन्म | कर्ण द्वारा इन्द्र को कवच-कुण्डलों का दान | कुन्ती द्वारा स्वयंवर में पाण्डु का वरण एवं विवाह | माद्री के साथ पाण्डु का विवाह | पाण्डु का पत्नियों सहित वन में निवास | विदुर का विवाह | धृतराष्ट्र के गांधारी से सौ पुत्र और एक पुत्री की उत्पत्ति | धृतराष्ट्र को सेवा करने वाली वैश्य जातीय युवती से युयुत्सु की प्राप्ति | दु:शला के जन्म की कथा | धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों की नामावली | पाण्डु द्वारा मृगरूप धारी मुनि का वध | पाण्डु का अनुताप, संन्यास लेने का निश्चय | पाण्डु का पत्नियों के अनुरोध से वानप्रस्थ-आश्रम में प्रवेश | पाण्डु का कुन्ती को पुत्र-प्राप्ति का आदेश | कुन्ती का पाण्डु को भद्रा द्वारा पुत्र-प्राप्ति का कथन | पाण्डु की आज्ञा से कुन्ती का पुत्रोत्पत्ति के लिए धर्मदेवता का आवाहन | युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की उत्पत्ति | नकुल और सहदेव की उत्पत्ति | पाण्डु पुत्रों का नामकरण संस्कार | पाण्डु की मृत्यु और माद्री का चितारोहण | ऋषियों का कुन्ती और पाण्डवों को लेकर हस्तिनापुर जाना | पाण्डु और माद्री की अस्थियों का दाह-संस्कार | पाण्डवों और धृतराष्ट्र पुत्रों की बालक्रीडाएँ | दुर्योधन का भीम को विष खिलाना | भीम का नागलोक में पहुँच आठ कुण्डों का दिव्य रस पान करना | भीम के न आने से कुन्ती की चिन्ता | नागलोक से भीम का आगमन | कृपाचार्य, द्रोण और अश्वत्थामा की उत्पत्ति | द्रोण को परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति | द्रोण का द्रुपद से तिरस्कृत हो हस्तिनापुर में आना | द्रोण की राजकुमारों से भेंट | भीष्म का द्रोण को सम्मानपूर्वक रखना | द्रोणाचार्य द्वारा राजकुमारों की शिक्षा | एकलव्य की गुरु-भक्ति | द्रोणाचार्य द्वारा शिष्यों की परीक्षा | अर्जुन द्वारा लक्ष्यवेध | द्रोण का ग्राह से छुटकारा | अर्जुन को ब्रह्मशिर अस्त्र की प्राप्ति | राजकुमारों का रंगभूमि में अस्त्र-कौशल दिखाना | भीम, दुर्योधन और अर्जुन द्वारा अस्त्र-कौशल का प्रदर्शन | कर्ण का रंगभूमि में प्रवेश तथा राज्याभिषेक | भीम द्वारा कर्ण का तिरस्कार और दुर्योधन द्वारा सम्मान | द्रोण का शिष्यों द्वारा द्रुपद पर आक्रमण | अर्जुन का द्रुपद को बंदी बनाकर लाना | द्रोण द्वारा द्रुपद को आधा राज्य देकर मुक्त करना | युधिष्ठिर का युवराज पद पर अभिषेक | पाण्डवों के शौर्य, कीर्ति और बल के विस्तार से धृतराष्ट्र को चिन्ता | कणिक का धृतराष्ट्र को कूटनीति का उपदेश
जतुगृह पर्व
| पाण्डवों के प्रति पुरवासियों का अनुराग देखकर दुर्योधन को चिन्ता | दुर्योधन का धृतराष्ट्र से पाण्डवों को वारणावत भेज देने का प्रस्ताव | धृतराष्ट्र के आदेश से पाण्डवों की वारणावत यात्रा | दुर्योधन के आदेश से पुरोचन का वारणावत नगर में लाक्षागृह बनाना | पाण्डवों की वारणावत यात्रा तथा उनको विदुर का गुप्त उपदेश | वारणावत में पाण्डवों का स्वागत | लाक्षागृह में निवास और युधिष्ठिर-भीम की बातचीत | विदुर के भेजे हुए खनक द्वारा लाक्षागृह में सुरंग का निर्माण | लाक्षागृह का दाह | विदुर के भेजे हुए नाविक का पाण्डवों को गंगा के पार उतरना | हस्तिनापुर में पाण्डवों के लिए शोक-प्रकाश | पाण्डवों का वन में प्रवेश | कुन्ती के लिए भीम का जल लाना | माता और भाइयों को भूमि पर सोये देखकर भीम को कोध आना
हिडिम्बवध पर्व
| हिडिम्ब के भेजने पर हिडिम्बा का पाण्डवों के पास जाना | हिडिम्बा का भीमसेन से वार्तालाप | भीम और हिडिम्बासुर का युद्ध | हिडिम्ब का कुन्ती से अपना मनोभाव प्रकट करना | भीम द्वारा हिडिम्बासुर का वध | युधिष्ठिर का भीम को हिडिम्ब-वध से रोकना | हिडिम्बा का भीम के लिए प्रार्थना करना | भीमसेन और हिडिम्बा का मिलन | घटोत्कच की उत्पत्ति | पाण्डवों को व्यासजी के दर्शन | पाण्डवों का एकचक्रा नगरी में प्रवेश