"महाभारत आदिपर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 316 (पिछले 200) (अगले 200)अ अक्षोहिणी सेना अग्निदेव का अदृश्य होना अग्निदेव का अर्जुन और कृष्ण को दिव्य धनुष, चक्र आदि देना अग्निदेव का खाण्डववन को जलाना अम्बिका, अम्बालिका के साथ विचित्रवीर्य का विवाह अरुण-गरुड़ की उत्पत्ति अर्जुन और भीम द्वारा कर्ण एवं शल्य की पराजय अर्जुन और सुभद्रा का विवाह अर्जुन का अग्निदेव से दिव्य धनुष एवं रथ मांगना अर्जुन का गंगाद्वार में रुकना एवं उलूपी से मिलन अर्जुन का द्रुपद को बंदी बनाकर लाना अर्जुन का प्रभास तीर्थ में श्रीकृष्ण से मिलना अर्जुन का मणिपूर में चित्रांगदा से पाणिग्रहण अर्जुन का लक्ष्यवेध करके द्रौपदी को प्राप्त करना अर्जुन का सुभद्रा पर आसक्त होना अर्जुन को ब्रह्मशिर अस्त्र की प्राप्ति अर्जुन द्वारा गोधन की रक्षा के लिए नियम-भंग अर्जुन द्वारा चित्ररथ गन्धर्व की पराजय एवं दोनों की मित्रता अर्जुन द्वारा लक्ष्यवेध अर्जुन द्वारा वर्गा अप्सरा का उद्धार अर्जुन-सुभद्रा का श्रीकृष्ण के साथ इन्द्रप्रस्थ पहुंचना अष्टक और ययाति का संवाद असुरों का जन्म और पृथ्वी का ब्रह्माजी की शरण में जानाआ आकाशवाणी द्वारा शकुन्तला की शुद्धि का समर्थन आरुणी, उपमन्यु, वेद और उत्तंक की गुरुभक्ति आरुणी, उपमन्यु, वेद और उत्तंक की गुरुभक्ति 2 आस्तीक का जन्म आस्तीक का सर्पयज्ञ में जाना आस्तीक का सर्पों से वर प्राप्त करना आस्तीक द्वारा यजमान, यज्ञ, ऋत्विज, अग्निदेव आदि की स्तुतिइ इंद्रदेव का श्रीकृष्ण और अर्जुन को वरदान इन्द्र और गरुड़ की मित्रता इन्द्र द्वारा अमृत अपहरण इन्द्र द्वारा वालखिल्यों का अपमान इन्द्रप्रस्थ नगर का निर्माणउ उत्तंक का सर्पयज्ञ उपरिचर का चरित्रऋ ऋषियों का कुन्ती और पाण्डवों को लेकर हस्तिनापुर जानाए एकलव्य की गुरु-भक्तिऔ और्व और पितरों की बातचीतक कच का शुक्राचार्य-देवयानी की सेवा में सलंग्न होना कण्व द्वारा शकुन्तला का पालन-पोषण कण्व द्वारा शकुन्तला विवाह का अनुमोदन कद्रु और विनता की होड़ कद्रु द्वारा अपने पुत्रों को शाप कद्रु द्वारा इंद्रदेव की स्तुति कद्रु-विनता को पुत्र प्राप्ति कर्ण का रंगभूमि में प्रवेश तथा राज्याभिषेक कर्ण द्वारा इन्द्र को कवच-कुण्डलों का दान कल्माषपाद का शाप से उद्धार कल्माषपाद को ब्राह्मणी आंगिरसी का शाप कश्यप का गरुड़ को पूर्व जन्म की कथा सुनाना कुन्ती और ब्राह्मण की बातचीत कुन्ती का द्रौपदी को उपदेश एवं आशीर्वाद कुन्ती का पांचाल देश में जाना कुन्ती का पाण्डु को भद्रा द्वारा पुत्र-प्राप्ति का कथन कुन्ती का ब्राह्मण कन्या के पास जाना कुन्ती का ब्राह्मण का दुख सुनना कुन्ती के लिए भीम का जल लाना कुन्ती को दुर्वासा से मंत्र की प्राप्ति कुन्ती द्वारा सूर्यदेव का आवाहन एवं कर्ण का जन्म कुन्ती द्वारा स्वयंवर में पाण्डु का वरण एवं विवाह कुन्ती, अर्जुन और युधिष्ठिर की बातचीत कुरुदेश की सर्वागीण उन्नति का दिग्दर्शन कृपाचार्य, द्रोण और अश्वत्थामा की उत्पत्ति कृष्ण-बलराम का वार्तालाप कौरव-पाण्डवों में फूट और युद्ध होने का वृत्तांत ख खाण्डववन का विनाश और मयासुर की रक्षा खाण्डववन में जलते हुए प्राणियों की दुर्दशाग गन्धर्व का ब्राह्मण को पुरोहित बनाने के लिए आग्रह करना गरुड़ का अमृत के लिए जाना और निषादों का भक्षण गरुड़ का कश्यप जी से मिलना गरुड़ का दास्यभाव गरुड़ का देवताओं से युद्ध गरुड़ का विष्णु से वर पाना गरुड़ की उत्पत्ति गरुड़ द्वारा अपने तेज और शरीर का संकोचघ घटोत्कच की उत्पत्तिज जनमेजय का राज्यभिषेक और विवाह जनमेजय की प्रतिज्ञा जनमेजय के यज्ञ में व्यास का आगमन जनमेजय के सर्पयज्ञ का उपक्रम जनमेजय के सर्पसत्र के विषय में रुरु की जिज्ञासा जनमेजय को सरमा का शाप जनमेजय द्वारा सोमश्रवा का पुरोहित पद जरत्कारु का जरत्कारु मुनि के साथ विवाह जरत्कारु का शर्त के साथ विवाह जरत्कारु की तपस्या जरत्कारु को पितरों के दर्शन जरत्कारु मुनि का नाग कन्या के साथ विवाह जरत्कारू द्वारा वासुकि की बहिन का पाणिग्रहण जरिता एवं उसके बच्चों का संवाद जरिता का अपने बच्चों की रक्षा हेतु विलाप करनाड डुण्डुभ की आत्मकथात तक्षक का इंद्र की शरण में जाना तक्षक नाग और कश्यप तपती और संवरण की बातचीत तपोवन और कण्व के आश्रम का वर्णन तिलोत्तमा की उत्पत्ति एवं सुन्दोपसुन्द को मोहित करने हेतु प्रस्थान तिलोत्तमा की वजह से सुन्द-उपसुन्द में लड़ाई तिलोत्तमा को ब्रह्माजी द्वारा वरदानद दक्ष, वैवस्वत मनु तथा उनके पुत्रों की उत्पत्ति दु:शला के जन्म की कथा दुर्योधन का धृतराष्ट्र से पाण्डवों को वारणावत भेज देने का प्रस्ताव दुर्योधन के आदेश से पुरोचन का वारणावत नगर में लाक्षागृह बनाना दुष्यंत का कण्व के आश्रम में प्रवेश दुष्यंत का शिकार के लिए वन में जाना दुष्यंत का हिंसक वन-जन्तुओं का वध करना दुष्यंत की राज्य-शासन क्षमता का वर्णन दुष्यंत-शकुन्तला वार्तालाप देवता और दैत्यों के अंशावतारों का दिग्दर्शन देवताओं के साथ श्रीकृष्ण और अर्जुन का युद्ध देवयानी का कच से पाणिग्रहण के लिए अनुरोध देवयानी शुक्राचार्य से वार्तालाप देवयानी-शर्मिष्ठा का कलह देवयानी-शर्मिष्ठा संवाद देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा देवासुर संग्राम द्रुपद का द्रौपदी-पाण्डवों के दिव्य रूपों की झाँकी करना द्रुपद के यज्ञ से धृष्टद्युम्न और द्रौपदी का जन्म द्रुपद-युधिष्ठिर की बातचीत एवं व्यासजी का आगमन द्रोण का ग्राह से छुटकारा द्रोण का द्रुपद द्वारा अपमानित होने का वृत्तांत द्रोण का द्रुपद से तिरस्कृत हो हस्तिनापुर में आना द्रोण का शिष्यों द्वारा द्रुपद पर आक्रमण द्रोण की राजकुमारों से भेंट द्रोण को परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति द्रोण द्वारा द्रुपद को आधा राज्य देकर मुक्त करना द्रोणाचार्य की पाण्डवों को उपहार भेजने की सम्मति द्रोणाचार्य द्वारा राजकुमारों की शिक्षा द्रोणाचार्य द्वारा शिष्यों की परीक्षा द्रौपदी का पाँचों पाण्डवों के साथ विवाह द्रौपदी का पाण्डवों से विवाह के संबंध में अपने-अपने विचार द्रौपदी के पुत्र एवं अभिमन्यु के जन्म-संस्कार द आगे. द्रौपदी के विषय में द्रुपद के प्रश्न द्रौपदी सहित भीम-अर्जुन का अपने डेरे पर जानाध धृतराष्ट्र का पाण्डवों के प्रति प्रेम का दिखावा धृतराष्ट्र का विवाह धृतराष्ट्र की आज्ञा से विदुर का द्रुपद के पास जाना धृतराष्ट्र के आदेश से पाण्डवों की वारणावत यात्रा धृतराष्ट्र के गांधारी से सौ पुत्र और एक पुत्री की उत्पत्ति धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों की नामावली धृतराष्ट्र को सेवा करने वाली वैश्य जातीय युवती से युयुत्सु की प्राप्ति धृतराष्ट्र-दुर्योधन की बातचीत, शत्रुओं को वश में करने के उपाय धृष्टद्युम्न का द्रुपद के पास आना धृष्टद्युम्न का स्वयंवर में आये राजाओं का परिचय देना धृष्टद्युम्न द्वारा द्रुपद के पास पुरोहित भेजनान नकुल और सहदेव की उत्पत्ति नाग और उच्चैश्रवा नागलोक से भीम का आगमन नारद द्वारा सुन्द-उपसुन्द कथा का प्रस्तावप परीक्षित का उपाख्यान परीक्षित के धर्ममय आचार परीक्षित द्वारा शमीक मुनि का तिरस्कार पाँचों पाण्डवों का द्रौपदी के साथ विवाह का विचार पाण्डवों और कुन्ती का द्रुपद द्वारा सम्मान पाण्डवों और धृतराष्ट्र पुत्रों की बालक्रीडाएँ पाण्डवों का एक ब्राह्मण से विचित्र कथाएँ सुनना पाण्डवों का द्रौपदी के विषय में नियम-निर्धारण पाण्डवों का धौम्य को पुरोहित बनाना पाण्डवों का हस्तिनापुर आना पाण्डवों की पांचाल यात्रा पाण्डवों की पांचाल-यात्रा में ब्राह्मणों से बातचीत पाण्डवों की वारणावत यात्रा तथा उनको विदुर का गुप्त उपदेश पाण्डवों के प्रति पुरवासियों का अनुराग देखकर दुर्योधन को चिन्ता पाण्डवों के यहाँ नारदजी का आगमन पाण्डवों के विवाह से दुर्योधन को चिन्ता पाण्डवों के शौर्य, कीर्ति और बल के विस्तार से धृतराष्ट्र को चिन्ता पाण्डवों को पराक्रम से दबाने के लिए कर्ण की सम्मति पाण्डवों को व्यासजी के दर्शन पाण्डु और माद्री की अस्थियों का दाह-संस्कार पाण्डु का अनुताप, संन्यास लेने का निश्चय पाण्डु का कुन्ती को पुत्र-प्राप्ति का आदेश पाण्डु का पत्नियों के अनुरोध से वानप्रस्थ-आश्रम में प्रवेश पाण्डु का पत्नियों सहित वन में निवास पाण्डु की आज्ञा से कुन्ती का पुत्रोत्पत्ति के लिए धर्मदेवता का आवाहन पाण्डु की मृत्यु और माद्री का चितारोहण पाण्डु द्वारा मृगरूप धारी मुनि का वध पाण्डु पुत्रों का नामकरण संस्कार पितरों के अनुरोध से जरत्कारु की विवाह स्वीकृति पितरों द्वारा और्व के क्रोध का निवारण पुत्र सहित शकुन्तला का दुष्यंत के पास जाना पुरुरवा, नहुष और ययाति के चरित्रों का वर्णन पुरुवंश का वर्णन पुरुवंश, भरतवंश एवं पाण्डुवंश की परम्परा का वर्णन पुलत्स्य आदि महिर्षियों के पराशर द्वारा राक्षस सत्र की समाप्ति प्रतीक का गंगा को पुत्र वधू के रूप में स्वीकार करना प्रमद्वरा और रुरु का विवाह प्रमद्वरा का जन्म प्रमद्वरा की सर्प के काटने से मृत्युब ब्रह्माजी का देवताओं को पृथ्वी पर जन्म लेने का आदेश ब्राह्मण कन्या के त्याग और विवेकपूर्ण वचन ब्राह्मण के चिन्तापूर्ण उद्गार ब्राह्मण परिवार का कष्ट दूर करने हेतु कुन्ती-भीम की बातचीत ब्राह्मणी का पति से जीवित रहने के लिए अनुरोध करना ब्राह्मणों का द्रुपद की राजधानी में कुम्हार के पास रहना ब्राह्मणों द्वारा क्षत्रिय वंश की उत्पत्ति एवं वृद्धिभ भगवान नारायण का मोहिनी रूप भरत का राज्याभिषेक भीम और अर्जुन द्वारा द्रुपद की रक्षा (पिछले 200) (अगले 200)