श्रीकृष्णकर्णामृतम् -श्रीमद् अनन्तदास बाबाजी महाराज
श्रीवृन्दावनमहिमामृत[1] में लिखा है-
‘स्थूल, सूक्ष्म, कारण और तुरीयब्रह्मा, श्रीवैकुण्ठ, द्वारका, जन्मभूमि (मथुरा या गोकुल), श्रीकृष्ण की गोचारणस्थली वृन्दावन और वृन्दावन के मध्य में गोपियों की क्रीड़ाभूमि (ये उत्तरोत्तर श्रेष्ठ हैं)। अत्यंत आश्चर्यजनक और परिदृश्यमान जगत् से अत्यंत सुन्दर श्रीराधा की कुञ्ज-वाटी शोभा पा रही है, जो विशुद्ध अतिपूर्ण श्रृंगार नामक आद्य भाव स्वरूपा है और उसका सभी कुछ वैसी उन्मादना ही जगाता है।’ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1/8-9
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