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- कुञ्चित अलका, उपरे अलिमण्डली,
- मल्लिका मालती माले।
- चूड़ा चिकन, चारू शिखि-चंद्रक,
- ढालनि आध कपाले।।
- सजनि ! बड़इ विनोदिया कान।
- कुटिल कटाखे, लाख लाख कुलवति,
- छाड़ल कुल-अभिमान।।
- मरकत मञ्जु, मुकुर मुखमण्डल,
- कामकामान भुरुभंगी।
- मलयज तिलक, भाल पर विलिखन,
- जाहा देखि चाँद कलंकी।।
- पीत पतनि मणि- , भूषण झलमलि,
- उरे दोलत वनमाल।
- ज्ञानदास कह, अपरूप देखह,
- बिजुरी तरुण तमाल।।”
- “सूत्रामरत्नदलिताञ्जन मेघपुञ्जप्रत्यग्र- नीलजलजन्म समानभासम्।
- सस्निग्धनीलघन-कुञ्चितकेश जालं- राजन्मनोज्ञ- शितिकण्ठशिखण्डचूडम्।।”[1]
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