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- पुनः सशंकिते कहे, केवल देवता नहे,
- देखो आइला वल्लभ आमार।
- पुनः सप्रणये कहे, केवल वल्लभ नहे,
- प्राण आइला आमा सबाकार।।
- जदि बलो कि लक्षणे, जानो तार आगमने,
- शुनो तार कहि विवरण।
- अधरे विचित्र वंशी, तरुणी – पराण – दंशी,
- तार नाद जाते सुधाकण।।
- देवतागणेर जे, दुर्लभ आइला से,
- त्रिभुवन कमनीय रूपा।
- तोंहो मोर नेत्र आगे, देखिया आश्चर्य लागे,
- तेंइ मोर भाग्य महामुदा।।
- एतो कहि देखि पुनः, कृष्ण सुखी हैया दुन,
- रासलीला आरम्भ करिला।
- ताहा देखि लीलाशुक, अन्तरे पाइया सुख,
- श्लोक पड़ि कहिते लागिला।।72।।
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