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- परशे अंगुल्या पाणि, कम्प हैलो अनुमानि,
- ताते नृत्य-गति मनोरम।
- भुजाग्र दोलायमान, नवकिशलय भान,
- ताते नखचंद्र झलमल।
- करुणा आकुल आँखि, अतिलोल ताते साक्षी,
- पूर्वप्राय सखि देखो आरे।
- मुखाब्ज चाँन्देर काँति, मृदुहास्य राधाभाँति,
- दर्शने प्रफुल्ल मधु झरे।।
- कंकण नूपुर आर, किंकिण्यादि मनोहर,
- मणिभूषा शब्द मनोहर।
- श्रवणे आनन्द देइ, कर्णरसायन जेइ,
- शिखिपिच्छ चूड़ार उपर।।
- एतेक कहिते पुनः, देखे सखीगण जेनो,
- बसिलेन गोविन्द बेड़िया।
- अंगवासासन दिया, मने कोप उपजिया,
- कहे कथा सबाइ हासिया।।
- ताहार उत्तर दिते, कृष्ण हैला हरषिते,
- ताते रूप शोभार माधुरी।
- लीलाशुक कहे ताहा, शुनिया आनन्द जाहा,
- मधुमय श्लोकैक उच्चारि।।70।।
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