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- पुनः कहे सुनागरी, तेंहो शिखिपिच्छधारी,
- दूर हैते देखा पाबो तार।
- लतागण कहे तबे, धाइया पलाइबे जबे,
- तबे कैछे लाग पाबे तार।।
- राइ कहे अतिशय, विलासे अलस गाय,
- चलितेइ शक्ति नाहि धरे।
- लता कहे घनकुञ्जे, रहिबे तिमिर पुज्जे,
- निज तनु गोपन आकारे।।
- राइ कहे मनोज्ञ अति, कोटिचंद्र जिनि कान्ति,
- हेनो मुखपद्म शोभा जार।
- सेइ कान्तिगण तारे, देखाइबे अन्धकारे,
- इहाते सन्देह नाहि आर।।
- किम्बा जेनो लता बोले, कालि प्राते व्रजस्थले,
- लाग पाबे लैओ निजधन।
- रात्रिकाले तेंहो फिरि, देह पाछे करे चुरि,
- तेइँ कहि हओ निवर्तन।।
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