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- ताते ओष्ठ बिम्बाधार, मृदुहास्य मधुचोर,
- गाम्भीर्य क्षोभक लीलागणे।
- मन्दर पर्वत जेनो, स्निग्ध सिन्धु सुमन्थन,
- करिया हरिला रत्नधने।।
- हृदय गंभीर तेनो, मथये आमारे जेनो,
- कृष्णलीला वेश सुमन्दर।
- धैर्यरत्न हरि लये, शुनो, शुनो सखि ! अये,
- दरशाओ देखि से सुन्दर।।
- सखी कहे आइला हरि, तोरे परिहास करि,
- कोन कुञ्जे लुकाइया रहे।
- चलो ताहे अन्वेषिया, सेइखाने विलोकिया,
- शुनी धनी सखी सने जाये।।
- तुलसी मालती जाति, माधवी मल्लिका जूथी,
- लता तरु पशु पक्षी स्थाने।
- कृष्णकथा प्रश्न करे, तार संगे प्रश्नोत्तरे,
- प्रलापिया करे निर्द्धारणे।।46।।
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