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- वचने मृदुता हेनो, अमृत उगरे जेनो,
- अर्द्ध वाणी श्रवणे पशिले।
- कुल छाड़े कुलवती, सदा हय उनमति,
- कबे ता शुनिबो श्रुतिमूले।।
- बिम्बाधर सुमधुर, उद्गारे रसेर पूर,
- अरुण वरणे सुधामाखा।
- कबे निरखिबो आमि, कोह देखि सखि तुमि,
- एइ ओष्ठाधरे हबे देखा।।
- मुरलीर रवे तेनो, माधुरी विषये जेनो,
- अमृत झरये दश दिशा।
- श्रवणे शुनिबो कबे, हेनो कि सुदिन हबे,
- पूर्ण हबे एइ मोर आशा।।
- कहिते कहिते अति, दैन्य बाड़ि गेलो मति,
- सेइ कृष्ण देखे जेइ जन।
- तार भाग जे बाखाने, तारे कहि धन्य जने,
- लीलीशुक करये वर्णन।।6।।
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