श्रीमद्भगवद्गीता साधक-संजीवनी हिन्दी-टीका -स्वामी रामसुखदास
नवम अध्याय
कारण कि मैल आगन्तुक है और मैल की अपेक्षा कपड़ा पहले से है अर्थात मैल और कपड़ा दो हैं, एक नहीं। ऐसे ही भगवान का अविनाशी अंश यह जीव भगवान से विमुख होकर जिस किसी योनि में जाता है, वहीं पर मैं- मेरापन करके शरीर-संसार के साथ संबंध जोड़ लेता है अर्थात मैल चढ़ा लेता है और जन्मता-मरता रहता है। जब यह अपने स्वरूप को जान लेता है अथवा भगवान के सम्मुख हो जाता है, तब यह अशुभ संबंध से मुक्त हो जाता है अर्थात उसका संसार से संबंध-विच्छेद हो जाता है। इसी भाव को लेकर भगवान यहाँ अर्जुन से कहते हैं कि इस तत्त्व को जानकर तू अशुभ से मुक्त हो जाएगा। संबंध- पूर्वश्लोक में विज्ञानसहित ज्ञान कहने की प्रतिज्ञा करके उसका परिणाम अशुभ से मुक्त होना बताया। अब आगे के श्लोक में उसी विज्ञान सहित ज्ञान की महिमा का वर्णन करते हैं। |
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