त्रयोदश अध्याय
प्रश्न- दस इन्द्रियाँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर- वाक्, पाणि (हाथ), पाद (पैर), उपस्थ और गुदा- ये पाँच कर्मेन्द्रियाँ हैं तथा श्रोत्र, त्वचा, चक्षु, रसना और घ्राण- ये पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं। ये सब मिलकर दस इन्द्रियाँ हैं। इन सबका कारण अहंकार है।
प्रश्न- ‘एकम्’ पद किसका वाचक है?
उत्तर- समष्टि अन्तःकरण की जो मनन करने वाली शक्तिविशेष है, संकल्पविकल्प ही जिसका स्वरूप है- उस मन का वाचक ‘एकम्’ पद है; यह भी अहंकार का कार्य है।
प्रश्न- ‘पन्च इन्द्रियगोचराः’ इन पदों का क्या अर्थ है?
उत्तर- शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध- जो कि पाँचों ज्ञानेन्द्रियों के स्थूल विषय हैं, उन्हीं का वाचक यहाँ ‘पंच इन्द्रियगोचराः’ पद है।
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