श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
प्रथम अध्याय
उत्तर- पाण्डव सेना में जब समस्त वीरों के शंख एक ही साथ बजे, तब उनकी ध्वनि इतनी विशाल, गहरी, ऊँची और भयानक हुई कि समस्त आकाश तथा पृथ्वी उससे व्याप्त हो गयी। इस प्रकार सब ओर उस घोर ध्वनि के फैलने से सर्वत्र उसकी प्रतिध्वनि उत्पन्न हो गयी, जिससे पृथ्वी और आकाश गूँजने लगे। उस ध्वनि को सुनते ही दुर्योधनादि धृतराष्ट्रपुत्रों के और उनके पक्ष वाले अन्य योद्धाओं के हृदयों में महान् भय उत्पन्न हो गया, उनके कलेजे इस प्रकार पीड़ित हो गये मानो उनको चीर डाला गया हो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |