श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
प्रथम अध्याय
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
यहाँ भी उसी भय की सम्भावना से दुर्योधन अपने पक्ष के सभी प्रमुख महारथियों से अनुरोध कर रहे हैं कि आप लोग जो जिस व्यूह द्वार-मोर्चे पर नियुक्त हैं, सभी अपने-अपने स्थान पर दृढ़ता के साथ डटे रहें और पूरी सावधानी रखें, जिससे किसी भी व्यूह द्वार से शिखण्डी अपनी सेना में प्रविष्ट होकर भीष्मपितामह के पास न पहुँच जाय। सामने आते ही, उसी समय, शिखण्डी को मार भगाने के लिये आप सभी महारथी प्रस्तुत रहें। यदि आप लोग शिखण्डी से भीष्म को बचा सकें तो फिर हमें किसी प्रकार का भय नहीं है। अन्यान्य महारथियों को पराजित करना तो भीष्म जी के लिये बड़ी आसान बात है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महा. भीष्म. 15।14-20
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