श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
एकादश अध्याय
श्रीभगवानुवाच
उत्तर- इस कथन से भगवान् ने अर्जुन के पहले प्रश्न का उत्तर दिया है, जिसमें अर्जुन ने यह जानना चाहा था कि आप कौन हैं। भगवान् के कथन का अभिप्राय यह है कि मैं सम्पूर्ण जगत् का सृजन, पालन और संहार करने वाला साक्षात् परमेश्वर हूँ अतएव इस समय मुझको तुम इन सबका संहार करने वाला साक्षात् काल समझो। प्रश्न- इस समय मैं इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रवृत्त हुआ हूँ, इस कथन का क्या अभिप्राय है? उत्तर- इस कथन से भगवान् ने अर्जुन के उस प्रश्न का उत्तर दिया है, जिसमें अर्जुन ने यह कहा था कि ‘मैं आपकी प्रवृत्ति को नहीं जानता।’ भगवान् के कथन का अभिप्राय यह है कि इस समय मेरी सारी चेष्टाएँ इन सब लोगों का नाश करने के लिये ही हो रही हैं, यही बात समझाने के लिये मैंने इस विराट्स्वरूप के अंदर तुझको सबके नाश का भयंकर दृश्य दिखलाया है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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