श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
द्वितीय अध्याय
उत्तर- पूर्वश्लोक में ‘योग’ के नाम से जिसका वर्णन किया गया है, उसी कर्मयोग का वाचक है। प्रश्न- कर्मयोग किसको कहते हैं? उत्तर- शास्त्रविहित उत्तम क्रिया का नाम ‘कर्म’ है और समभाव का नाम ‘योग’ है[1]; अतः ममता-आसक्ति, काम-क्रोध और लोभ-मोह आदि से रहित होकर जो समतापूर्वक अपने वर्ण, आश्रम, स्वभाव और परिस्थिति के अनुसार शास्त्रविहित कर्तव्य-कर्मों का आचरण करना है, वही कर्मयोग है। इसी को समत्वयोग, बुद्धियोग, तदर्थकर्म, मदर्थकर्म और मत्कर्म भी कहते हैं। प्रश्न- ‘इस ‘कर्मयोग’ रूप धर्म का थोड़ा सा भी साधन महान् भय से रक्षा कर लेता है’ इस वाक्य का क्या अभिप्राय है? उत्तर- इससे यह भाव दिखलाया गया है कि यह कर्मयोग का साधन यदि अपनी पूर्ण सीमा तक पहुँच जाता है, तब तो वह मनुष्य को उसी क्षण परब्रह्म परमात्मा की प्राप्ति करा देता है। अतः इसके पूर्ण साधन के महत्त्व का तो कहना ही क्या है, पर यदि मनुष्य इसका कुछ आंशिक साधन कर लेता है अर्थात् समत्व की अटल स्थिति न होकर यदि मनुष्य के द्वारा थोड़े-से भी कर्तव्य-कर्म का आचरण समभाव से हो जाता है और वह थोड़ा-सा भी समभाव यदि अन्तकाल में स्थिर हो जाता है, तब तो उसी समय मनुष्य को निर्वाणब्रह्म की प्राप्ति करा देता है।[2]; नहीं तो वह जन्मान्तर में साधक को पुनः साधन में प्रवृत्त करके परम गति की प्राप्ति करा देता है।[3] इस प्रकार यथासमय उसका अवश्य उद्धार कर देता है। सकामभाव से हजारों वर्षों तक किये हुए बड़े-से-बड़े यज्ञ, दान, तप, तीर्थसेवन और व्रत, उपवास आदि कर्म भी मनुष्य का संसार से उद्धार नहीं कर सकते और समभाव से किये हुए शास्त्रविहित भिक्षाटन, युद्ध, कृषि, वाणिज्य, सेवा और शिल्प आदि छोटे-से-छोटे जीविका के कर्म भी भावपूर्ण होने पर क्षणमात्र में संसार से उद्धार करने वाले बन जाते हैं; क्योंकि कल्याण-साधन में ‘कर्म’ की अपेक्षा ‘भाव’ की ही प्रधानता है। प्रश्न- जबकि यह कर्मयोग का थोड़ा-सा साधन वृद्धि को प्राप्त होने पर ही महान् भय से रक्षा करता है, तब फिर थोड़े का क्या महत्त्व रहा? उत्तर- निष्कामभाव का परिणाम संसार से उद्धार करना है। अतएव वह अपने परिणाम को सिद्ध किये बिना न तो नष्ट होता है और न उसका कोई दूसरा फल ही हो सकता है, अन्त में साधक को पूर्ण निष्काम बनाकर उसका उद्धार कर ही देता है- यही उसका महत्त्व है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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