भागवत सुधा -करपात्री महाराजभक्तिसुधा एक प्रकार से प्रस्तुत भागवत सुधा की भूमिका है। भागवत सुधा में आठ पुष्पों में भागवत के कुछ मार्मिक प्रसंगों पर पूज्य स्वामी जी के प्रवचन संकलित हैं। प्रथम पुष्प में भक्ति के वैदिक और औपनिषद आधारों का गम्भीर विवेचन है। द्वितीय पुष्प में भागवत के जीवन भूत दो श्लोकों की व्याख्या है जिसमें पहला भागवत का प्रथम श्लोक है और और दूसरा श्रीकृष्ण के वृन्दावन -प्रवेश का वर्णन करने वाला ‘बर्हापीडम्’ श्लोक है। तृतीय पुष्प में भागवत के वक्ता-श्रोता तथा प्रतिपाद्य का विवेचन है। चतुर्थ पुष्प में भागवत के प्रारम्भ की सार्थकता का विवेचन है तथा प्रथम स्कन्ध के कई मार्मिक प्रसंगों का विवेचन है। पंचम पुष्प में द्वितीय और तृतीय के प्रसंग हैं। षष्ठ पुष्प में सप्तम स्कन्ध के प्रसंग हैं तथा शरणागति का निरूपण है। सातवें पुष्प में वामनावतार का प्रसंग वर्णित हुआ है। आठवें में नवम एवं दशम के चुने हुए प्रसंग सरस ढंग से प्रतिपादित किये गये हैं। ये प्रबचन श्री वृन्दावन में फाल्गुन शुक्ल द्वादशी से चैत्र कृष्ण चतुर्थी मंगलवार तक संवत् 2037 में दिये गये थे और ये टेप पर अंकित होते गये थे। उसी टेप के आधार पर इन प्रवचनों को लिपिबद्ध किया गया है। |
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