द्वादश अध्याय
सम्बन्ध- इस प्रकार निर्गुण-उपासना और उसके फल का प्रतिपादन करने के पश्चात् अब देहाभिमानियों के लिये अव्यक्त गति की प्राप्ति को कठिन बतलाते हैं-
क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम् ।
अव्यक्ता हि गतिर्दु:खं देहवद्भिरवाप्यते ।। 5 ।।
उन सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म में आसक्त चित्त वाले पुरुषों के साधन में परिश्रम विशेष है, क्योंकि देहाभिनानियों के द्वारा अव्यक्तविषयक गति दु:खपूर्वक प्राप्त हो जाती है।।5।।
प्रश्न- ‘तेषाम्’ पद के सहित ‘अव्यक्तासक्तचेतसाम्’ पद किनका वाचक है? और उनको परिश्रम अधिक है, इस कथन का क्या भाव है?
उत्तर- पूर्व श्लोकों में जिन निर्गुण-उपासकों का वर्णन है, जिनका मन निर्गुण-निराकार सच्चिदानन्दघन ब्रह्म में ही आसक्त है- उनका वाचक यहाँ ‘तेषाम्’ के सहित ‘अव्यक्तासक्तचेतसाम्’ पद है। उनको परिश्रम अधिक है, यह कहकर भगवान् ने यह भाव दिखलाया है कि निर्गुण ब्रह्म का तत्त्व बड़ा ही गहन है; जिसकी बुद्धि शुद्ध, स्थिर और सूक्ष्म होती है, जिसका शरीर में अभिमान नहीं होता वही उसे समझ सकता है, साधारण मनुष्यों की समझ में यह नहीं आता। इसलिये निर्गुण-उपासना के साधन के आरम्भकाल में परिश्रम अधिक होता है।
प्रश्न- देहाभिमानियों के द्वारा अव्यक्तविषयक गति दुःखपूर्वक प्राप्त की जाती है- इस कथन का क्या भाव है?
उत्तर- उपर्युक्त कथन से भगवान् ने पूर्वार्द्ध में बतलाये हुए परिश्रम का हेतु दिखलाया है। अभिप्राय यह है कि देह में अभिमान रहते निर्गुण ब्रह्म का तत्त्व समझ में आना बहुत कठिन है। इसलिये जिनका शरीर में अभिमान है उनको वैसी स्थिति बड़े परिश्रम से प्राप्त होती है।
प्रश्न- यहाँ तो अव्यक्त की उपासना में अधिकतर परिश्रम बतलाया है और नवें अभ्यास के दूसरे श्लोक में ‘कर्तुम्’, ‘सुसुखम्’ पदों से ज्ञान-विज्ञान को सुगम बतलाकर चौथे, पाँचवें और छठे श्लोकों में अव्यक्त का ही वर्णन किया है; अतः दोनों जगह के वर्णन में जो विरोध-सा प्रतीत होता है, इसका क्या समाधान है?
उत्तर- विरोध नहीं है, क्योंकि नवें अध्याय में ‘ज्ञान’ और ‘विज्ञान’ शब्द सगुण भगवान् के गुण, प्रभाव और तत्त्व से विशेष सम्बन्ध रखते हैं; अतः वहाँ सगुण-निराकार की उपासना को ही करने में सुगम बतलाया है। वहाँ चौथे श्लोक में आया हुआ ‘अव्यक्त’ शब्द सगुण-निराकार का वाचक है, इसीलिये उसे समस्त भूतों को धारण-पोषण करने वाला, सब में व्याप्त और वास्तव में असंग होते हुए भी सबकी उत्पत्ति आदि करने वाला बतलाया है।
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