श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
एकादश अध्याय
उत्तर- पितामह भीष्म और गुरु द्रोण कौरव-सेना के सर्वप्रधान महान् योद्धा थे। अर्जुन के मत में इनका परास्त होना या मारा जाना बहुत ही कठिन था। यहाँ उन दोनों के नाम लेकर अर्जुन यह कह रहे हैं कि ‘भगवन्! दूसरों के लिये तो कहना ही क्या है; मैं देख रहा हूँ भीष्म और द्रोण-सरीखे महान् योद्धा भी आपके भयानक विकराल मुखों में प्रवेश कर रहे हैं।’ प्रश्न- सूतपुत्र के साथ ‘असौ’ विशेषण देकर क्या भाव दिखलाया है? उत्तर- वीरवर कर्ण से अर्जुन की स्वाभाविक प्रतिद्वन्द्विता थी। इसलिये उनके नाम के साथ ‘असौ’ विशेषण का प्रयोग करके अर्जुन यह भाव दिखलाते है कि अपनी शूरवीरता के दर्प में जो कर्ण सबको तुच्छ समझते थे, वे भी आज आपके विकराल मुखों में पड़कर नष्ट हो रहे हैं। प्रश्न- ‘अपि’ पद के प्रयोग का क्या भाव है तथा ‘सह’ पद का प्रयोग करके ‘अस्मदीयैः’ एवं ‘योधमुख्यैः’ इन दोनों पदों से क्या बात कही गयी है? उत्तर- ‘अपि’ तथा प्रश्न में आये हुए अन्यान्य पदों का प्रयोग करके अर्जुन यह भाव दिखलाया है कि केवल शत्रु पक्ष के वीर ही आपके अंदर नहीं प्रवेश कर रहे हैं; हमारे पक्ष के जो मुख्य-मुख्य वीर योद्धा हैं, शत्रुपक्ष के वीरों के साथ-साथ उन सबको भी मैं आपके विकराल मुखों में प्रवेश करते देख रहा हूँ। प्रश्न- ‘त्वरमाणाः’ पद किनका विशेषण है और इसके प्रयोग का क्या भाव है तथा ‘मुखानि’ के साथ ‘दंष्ट्राकरालानि’ और ‘भयानकानि’ विशेषण देकर क्या भाव दिखलाया है? उत्तर- ‘त्वरमाणाः’ पूर्व श्लोक में वर्णित दोनों पक्षों के सभी योद्वाओं का विशेषण है। ‘दंष्ट्राकरालानि’ उन मुखों का विशेषण है जो बड़ी-बड़ी भयानक दाढ़ों के कारण बहुत विकराल आकृति के हों; और ‘भयानकानि’ का अर्थ है- जो देखने मात्र से भय उत्पन्न करने वाले हों। यहाँ इन पदों का प्रयोग करके अर्जुन ने यह भाव दिखलाया है कि पिछले श्लोक में वर्णित दोनों पक्ष के सभी योद्धाओं को मैं बड़े वेग के साथ दौड़-दौड़कर आपके बड़ी-बड़ी दाढ़ों के कारण विकराल और भयानक मुखों में प्रवेश करते देख रहा हूँ, अर्थात् मुझे यह प्रत्यक्ष दीख रहा है कि सभी वीर चारों ओर से बड़े वेग के साथ दौड़-दौड़कर आपके भयंकर मुखों में प्रविष्ट होकर नष्ट हो रहे हैं। प्रश्न- कितने ही चूर्णित मस्तकों सहित आपके दाँतों में फँसे हुए दीखते हैं, इस कथन का क्या अभिप्राय है? उत्तर- इससे अर्जुन ने यह भाव दिखलाया है कि उन सबको केवल आपके मुखों में प्रविष्ट होते ही नहीं देख रहा हूँ; उनमें से कितनों को ऐसी बुरी दशा में भी देख रहा हूँ कि उनके मस्तक चूर्ण हो गये हैं और वे बुरी तरह से आपके दाँतों में फँसे हुए हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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