सप्तम अध्याय
प्रश्न- भगवान् की प्राप्ति के लिये यत्न करने वाले मनुष्यों में कोई एक ही भगवान् को तत्त्व से जानता है, इसका क्या कारण है? सभी क्यों नहीं जानते?
उत्तर- इसका कारण यह है कि पूर्वसंस्कार, श्रद्धा, प्रीति, सत्संग और चेष्टा के तारतम्य से सबका साधन एक-सा नहीं होता। अहंकार, ममत्व, कामना, आसक्ति और संगदोष आदि के कारण नाना प्रकार के विघ्न भी आते ही रहते हैं। अतएव बहुत थोड़े ही पुरुष ऐसे निकलते हैं जिनकी श्रद्धा-भक्ति और साधना पूर्ण होती है और उसके फलस्वरूप इसी जन्म में वे भगवान् का साक्षात्कार कर पाते हैं।
प्रश्न- यत्न करने वालों के साथ ‘सिद्ध’ विशेषण किस अभिप्राय से दिया गया है?
उत्तर- इसका यह अभिप्राय समझना चाहिये कि भोगों में पड़े हुए विषयासक्त मनुष्यों की अपेक्षा से परमात्मा की प्राप्तिरूप परमसिद्धि के लिये जो प्रयत्न करता है वह भी सिद्ध ही है।
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